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अनजानी रात २
जंगल के बीचों बीच ये गैंगस्टर क्या कर रहे हैं? ये इतने सारे हाथियों के दांत? शेरों की खाल? ये सब क्या हो रहा है? राज ने करण की ओर देखा।
चलो आगे चलकर देखते हैं, शायद कुछ पता चल जाए! करण ने कहा।
नहीं!नहीं! हमे इस लफड़े में नहीं पड़ना चाहिए! मेरी बात मानो करण! भाग चलो यहां से! राज बहुत घबरा गया था।
करण ने राज की एक न सुनी और उसकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहा : चलो, आगे चलें!

जैसे ही दोनो कुछ कदम आगे बढ़े, उनके चारों ओर गुंडे आ गए, हाथ में बड़ी बड़ी बंदूकें!

अब भागकर कहां जाएं? अब तो लड़ना ही पड़ेगा! राज ने डरते हुए कहा।

करण ने हामी भरते हुए एक गुंडे पर हमला कर दिया और उसकी बंदूक छीन कर दोनों भागने लगे की तभी उन्हें एक आदमी पेड़ से बंधा, मुंह ढाका हुआ दिखाई पड़ा।

राज! तुम इसको छुड़ाए, मैं इन गुंडों से निपटता हूं। करण ने दृढ़ता से कहा।
राज : ठीक है करण !

राज ने जैसे ही उस बंधक की रस्सी खोली और उसका चेहरा देखना चाहा तो वो हक्का बक्का रह गया। वो तो करण था! बेहोश!

क.... क...करण!!??? तुम!? अगर तुम यहां हो तो मेरे साथ कौन था? किसके साथ मैं यहां तक पहुंचा?

राज ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, वो चकरा सा गया। सारे गुंडे जमीन पर गिर पड़े थे और जिस करण के साथ वो आया था वो तो मानों कभी वहां था ही नहीं! राज को कुछ समझ नहीं आ रहा था! ज्यादा न सोचते हुए करण को वो घर ले आया। सबेरा हो गया था । करण ने आंखें खोली।

मैं तुम्हारे घर?? लेकिन मैं तो गुंडों की कैद में था न जंगल में!? करण ने राज को पुकारते हुए पूछा।
लेकिन तुम वहां पहुंचे कैसे? राज ने हैरानी से पूछा।
मैं पार्टी से जल्दी निकल गया था। लगभग १२ बजे। मैं अपनी गाड़ी में बैठा और गाड़ी चलाने लगा। मेरे फोन की घंटी बजी। मैं फोन पर बात कर ही रहा था की मेरे सामने एक ट्रक तेज रफ़्तार में आता हुआ दिखा मुझे। मैंने जल्दी से गाड़ी मोड़ी। गाड़ी से मैं अपना संतुलन खो बैठा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की तभी गाड़ी जंगल में पहुंच गई और एक पेड़ से टकरा कर थम गई। : करण बता रहा था।
क्या?? आगे क्या हुआ फिर? राज ने करण की बात काटते हुए कहा।
करण ने आगे कहा : जिसके बाद मैं गाड़ी से उतरा और थोड़ी दूर मुझे किसी के बात करने की आवाज आई। मैं उस तरफ गया। कुछ गुंडे वहां तस्करी बनाने का प्लान बना रहे थे कि तभी एक गुंडे ने मुझे देख लिया और कैदी बना लिया…लेकिन तुम वहां तक कैसे पहुंच गए??

राज ने सब बताया : करण का गाड़ी चलाना ; फ़ोन की घंटी बजना ; गाड़ी का संतुलन खो बैठना ; गाड़ी पेड़ से टकराना ; गुंडों का दिखना ; करण को छुड़ाना ; सब कुछ’ हर एक लम्हा!

क्या??? करण कुछ सोच नहीं पा रहा था!
मुझे समझ नहीं आ रहा की आखिर मैं तो कैद था तो किस करण का फोन आया तुम्हे? कौन करण गाड़ी चला रहा था? कौनसा करण गुंडों से लड़ा? करण हैरान था।
पता नहीं यार! आखिर ये सब हुआ क्या? राज ने चिंताजनक कथन कहा।

करण इसके बारे में सोच ही रहा था कि चक्कर आने लगे और ये सब सोचते सोचते वो बेहोश हो गया।

क्या करण को होश आया? अगर करण बेहोश था तो क्या हुआ उसके साथ? सब सवालों के जवाब पाने के लिए थोड़ा प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की : अनजानी रात ३


© Utkarsh Ahuja