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बिखरी हुई यादें
एक समय था जब किसी कारण से मेरा मिलना आप हुआ।मेरी अपनी कुछ मजबूरियां थी और एक दायरा भी था,जिसे मैं बखूबी समझता था,आप से मेरी सिर्फ औपचारिक बातचीत थी जिसे मैं ज्यादा तवज्जो नही देता था,क्यों कि मुझे पता था बस कुछ दिन का साथ है हमारा फिर तुम कहाँ हम कहाँ।लेकिन आप धीरे धीरे बातचीत के ज़रिये आप हमें खुद को समझाने लगे और हम आपको ।अब वक्त बीतता गया और मुझे भी आपके प्रति एक लगाव महसूस होने लगा।साथ मे एक अलगाव का डर भी रहता कि कल के किसी कारण से आप मुझसे दूर होगे तो मेरा क्या होगा क्यों कि मैं आपको समझते समझते काफी डूब रहा था आप मे ये मेरी आत्मा जानती है क्या मायने होता था मुझे आपके साथ होने में,यही डर हमेशा मुझे रहता था आप अगर किसी कारण मुझसे दूर हुए तो क्या हाल होना है मेरा।इसलिए मैं आप से हमेशा डरते हुए काफी दूर रहना चाहता था,क्यों कि अभी मैं आपके बारे में सही तरह से नही...