...

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एक दिन कि बात हैं
एक दिन कि बात हैं
जरा अच्छे सुनिएगा और पढ़िएगा
बुटाती हो। किया हुआ था उस दिन
उस दिन जब हम कॉलेज जा रहे थे तू जैसे घर से निकले
हमे अपनी दोस्त का फोन आया
पर हमारा फ़ोन तू घर मैं ही रह गया था
तो हमे पता हो नहीं चला की मेरी दोस्त फ़ोन कर रही हैं
जब हम आधे रास्ता आ गए
तब याद आया कि फोन तू घर में भूल गए और ख्याल आया की मेरी दोस्त फ़ोन कर रही होगी
तू हम घर गए वापस।
मम्मी वहा फोन लेह कर आ रही थी
बोली मम्मी कि कुछ ना कुछ भूलती है
फिर हम मम्मी से फोन लिए और प्रणाम किए।।
हम प्रणाम करना भी भूल गए पर भगवान का हाथ और मां का साथ हमेशा रहता है मेरे साथ।।
हम जब फ़ोन लिए और ऑन कर देखे तो कितना फ़ोन कि थी दोस्त पर हम जब तक किए कॉलेज जा चुकी थी
और हमरा देरी हो गया था।।
फिर हम रिकस्का लिए और कॉलेज।
देखे क्लास हो रहा है और मेरी ही तरह कुछ और मेरी सहपाठी देर से आई बाहर मैं थी तो हम समय देखें तो पता चला ज्यादा देरी नहीं हुआ है
स्रीफ पांच मिनट देरी थोडा दर लगा अंदर जाने मैं पर ज्यादा समय ना लगाई चली गई।
टीचर ने भी कुछ नहीं पूछा तो हम उस दिन लास्ट मैं बैठ गए।
कियुकी हमारी दोस्त भी पर गुस्सा थी बात नहीं की कियुकी फ़ोन समय पर ना देख और ना कर पाई।।
तो सोचे कोई बात नहीं जो हुआ अच्छा होगा उस मैं भी पर

एक सिख मिली उस दिन की समय कभी किसी के लिए नहीं रुकता और ना कोई इंसान।।।
।।इसीलिए हमेशा खुश और समय से कार्य करे।।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️ बबिता कुमारी ✍️✍️✍️✍️✍️✍️
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