...

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अच्छे के लिए
कहते हैं न कि
"जो होता है अच्छे के लिए होता है"
परिस्थितियां आपके अनुकूल या प्रतिकूल होती है और आप उन परिस्थितियों का या तो आनंद लेते है या जूझते है। पर यह दोनो परिस्तिथियां आपके व्यक्तिव विकास के लिये महत्वपूर्ण है चाहे किसी कार्य को मन से या बे मन से करें। मन से या बे मन से लगाया पौधा एक न एक दिन फल तो देगा ही,फल न सही छाया देगा,या आश्रय देगा या अंत मे एक स्वादिष्ट भोजन तैयार करने हेतु ईंधन देगा। अतः आपके कर्म आपको कुछ न कुछ दे कर ही जायेंगे। अतः हमारी सोच कर्म प्रधान होनी चाहिए न कि परिणाम प्रधान। क्रिया का परिणाम तो एक न एक दिन अवश्य आएगा जो आपके इच्छा के अनुरूप होगा या नही भी।
इच्छा के अनुरूप परिणाम आये तो वह आपको शांत कर देगा और आप अचल हो जाएंगे।
लेकिन इच्छा के अनुरूप परिणाम न मिलने पर आप सक्रिय हो जाएंगे और नए नए रास्तों पर चलना सीख जाएंगे और फिर से इच्छा अनुरुप परिणाम प्राप्त करेंगे।
सफल हो या असफल,
करेगा यही आपके जीवन को सफल।
"जो होता है अच्छे के लिए होता है"
संजीव बल्लाल
© BALLAL S