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वाराणसी यात्रा
जून का महीना था स्कूल से गर्मी कि छुट्टियां मिली थी। लेकिन गांव में आम के पेड़ के नीचे बैठ-खेल कर दिल प्रसन्न नही होता। परन्तु आज वही दिन आया जिसका कई वर्षों से इन्तजार था। हम सभी मित्रों ने मिलकर वाराणसी यात्रा की योजना बनाई। और अगले दिन के सुबह हम चारो मित्रो ने बस से वराणासी के लिए चल पङे।

जब कि हम चारो मित्र वहां पहुंचे दोपहर का एक बज चुका था। परन्तु इतना गर्मी बढ गया था कि बीस-तीस कदम चलते ही मुह - सुख जाता और प्यास लग जाता। गर्मी लगभग न बुझने के बराबर रूप ले रहा था।

अब चलकर हम चारो के हाथ- पैर काफी ज्यादा दर्द कर...