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वाराणसी यात्रा
जून का महीना था स्कूल से गर्मी कि छुट्टियां मिली थी। लेकिन गांव में आम के पेड़ के नीचे बैठ-खेल कर दिल प्रसन्न नही होता। परन्तु आज वही दिन आया जिसका कई वर्षों से इन्तजार था। हम सभी मित्रों ने मिलकर वाराणसी यात्रा की योजना बनाई। और अगले दिन के सुबह हम चारो मित्रो ने बस से वराणासी के लिए चल पङे।

जब कि हम चारो मित्र वहां पहुंचे दोपहर का एक बज चुका था। परन्तु इतना गर्मी बढ गया था कि बीस-तीस कदम चलते ही मुह - सुख जाता और प्यास लग जाता। गर्मी लगभग न बुझने के बराबर रूप ले रहा था।

अब चलकर हम चारो के हाथ- पैर काफी ज्यादा दर्द कर रहा था! लगभग शाम होने वाला ही था तभी हम सभी ने एक होटल में गये खाना-खाये और बाहर निकल कर एक अच्छा जगह देख कर सो गये। बहुत- ही अच्छा नींद आयी। जब सुबह के चार बजे तभी नींद टूटी और नदी मे स्नान करने के लिए चल दिये। नदी में पानी की धारा इतना तेजी से प्रवाहित हो रही थी और देखने में बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। लेकिन स्नान करने मे काफी डर लग रहा था! फिर भी हम लोगों ने वहां स्नान किये क्योंकि हमारे पूर्वज कहते थे वाराणसी जहां के गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।वही वाराणसी जिसे काशी विश्वनाथ के नगरी, ज्ञान की नगरी, तथा उतर भारत का संस्कृति का केंद्र स्थल है। जहां कि प्रसिद्ध साड़ी "वाराणसी साड़ी" कहा जाता है। तथा भारत के बहुत से लेखकों और कवियों जैसे-जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, महावीर प्रसाद द्विवेदी, कबीर दास, तुलसीदास, आदि का स्थल है।

स्नान किये और वहाँ से काशी विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए पैदल चल दिये। दर्शन करने के बाद इधर-उधर के गलियों मे घूमे बहुत मजा किये। और शाम के समय आरती देखने के लिए अस्सी घाट पहुंचे।जब आरती समाप्ति के बाद अपने जगह पर आ गए।
फिर अगले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर के पश्चिम में कुछ दूरी पर गणेशजी का मंदिर है जहां सिर्फ मछली चढा कर पूजा करते हैं वहा घूमने गये।
तथा उसके बाद में वहां से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) , महात्मा गांधी काशी विधापीठ, संस्कृति हिन्दू विश्वविद्यालय, तथा वहा के हवाई अड्डा भी देखे। वहा से अन्य शोपिंग महल देखते हुए (DLW) डीजल लोकोमोटिव वर्क्स आये। जहां बड़ी संख्या में रेलगाड़ी के पार्ट - पुर्जे बनते हैं। तथा वहा से बस पकड़े और लगभग 10 किलोमीटर दूर सारनाथ गये। जहां गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। वहां कुछ समय तक घुमते रहे तीन - चार घंटे तक मजा किये और गांव के लिए बस से रवाना हो गए।



© sonu Kumar Singh