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डिलीवरी बॉय...
सच्ची घटना
सर्दियों के समय की बात है हम 3 दोस्त पंचकूला के एक सोसाइटी के एक फ्लैट में रहते थे बैचलर होने की वजह से हम खाना बाहर से ही खाते थे एक रात की बात है बातों बातों में देर हो गए और बाहर खाने के लिए नहीं जा पाए।
कई बार जोमैटो स्विग्गी वगैरह से ऑर्डर कर लिए जाते थे तो उस दिन फिर तकरीबन आखरी समय में जब सभी होटल बंद होने वाले थे तब खाना ऑर्डर किया गया वह भी जीरकपुर साइड के होटल से तो जैसे ही डिलीवरी ब्वॉय वहां पर पहुंचा बारिश आना शुरू हो गई और उस रात तकरीबन बहुत ज्यादा तेज बारिश थी एप्लीकेशन में भी दिखाया कि ऑर्डर आपका कैंसिल हो जाएगा लेकिन हमने डिलीवरी बॉय से बात की कि हमारे पास अभी खाने वगैरा के लिए कोई दुकान वगैरा भी खुली नहीं है तो आप हमारे लिए खाना जरूर लेकर आना तो वह बोला कि आप चिंता ना करें मैं खाना लेकर जरूर आऊंगा अभी बारिश आ रही है जैसे ही बारिश कम होती है मैं चल पढ़ लूंगा और सर्दियों में बारिश का मतलब आप समझते ही हैं ठंड और ज्यादा बढ़ जाती है वह बारिश तकरीबन 2:30 घंटे चलती है जिसके बाद खाने के इंतजार में डिलीवरी बॉय से बात करते हैं तकरीबन 12:25 पर डिलीवरी बॉय आता है ,वह काफी भीग भी चुका था पर वह खाना लेकर हमारे पास फिर भी पहुंचता और हमें दरवाजे पर देखने पर पता चला कि उसकी उम्र लगभग 35 साल के करीब थी, हमने उसका धन्यवाद भी किया और उसको कपड़े सुखाने के लिए ठहरने के लिए भी बोला पर उसे जाने की जल्दी थी क्योंकि वह भी घर के लिए लेट हो चुका था। हमने उसे डिलीवरी चार्ज से एक्स्ट्रा ज्यादा पैसे देने की कोशिश की लेकिन उसने उनमें से सिर्फ कुछ ही रुपए रखे और बाकी वापस हमें लौटा दिए। हमारे बार बार कहने पर भी उसने उनमें से ज्यादा पैसे नहीं लिए हमें ठीक याद है कि अगर उस रात वह नहीं आता तो शायद हमें भूखा ही सोना पड़ता।उस दिन जो उस इंसान ने हमारे लिए किया उसकी हम जितनी तारीफ करें उतना ज्यादा कम है। उस दिन हमने खाना खाते हुए जितना शुक्रिया उस इंसान का किया शायद हम भगवान का करते होंगे और इस बात से हमें महसूस हुआ कि "कुछ सिपाही ऐसे होते हैं जो अपनी ड्यूटी कभी नहीं भूलते।"

दिल से सलाम!
© Ashish Morya