...

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अंतिम क्षणों की कहानी
पल पल बीत रहा फिर क्यों संतुष्ट नहीं ये सांसें
सिकुड़ रही है चमडिया और बदल रहे यह ऐहसासे
पल पल बीत रहा फिर क्यों संतुष्ट नहीं ये सांसें
दिन बचे है कम और ख्वाब बढ़ रहे है ज्यादे
ज़िन्दगी खुप बढ़ी थी और निभाएं कई वादे
पल पल बीत रहा फिर क्यों संतुष्ट नहीं ये सांसें
खूब घुमा है ...