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"वो रात"
कामिनी का आज परीक्षा के बाद कालेज का आखिरी दिन था उसके बाद कुछ दिनों का अवकाश था वो खुशी-खुशी पैकिंग में व्यस्त थी ।
उसके साथ कालेज की और भी कई लड़कियां घर जा रहीं थी कामिनी की दोपहर की ट्रेन थी देहरादून से सीधे दिल्ली जाने की गाड़ी ३:०० बजे आने वाली थी,वह जल्दी से तैयार होकर स्टेशन में जाकर बैठ गई नियत समय पर गाड़ी आ गई अन्य यात्रियो के साथ कामिनी भी गाड़ी में जाकर बैठ गई। उसे खिड़की के पास बैठना पसंद था,उसनें सोचा इससे पहले कि कोई और खिड़की के पास बैठे वो जाकर बैठ गई।
कामिनी अपने भैया भाभी के यहाँ रहकर पढ़ाई कर रहीं थी,यूँ खुद उसका घर नागपुर में था, कामिनी को उसके भैया भाभी बहुत चाहते थे और उसे यहाँ किसी प्रकार की कोई कमी का एहसास नहीं होने देते थे।
कामिनी खिड़की के बाहर के नज़ारों में तल्लीन थी कि तभी एक आवाज़ ने उसकी तन्द्रा तोड़ीं, "भूख तो लगी होगी तुम्हें क्योकि तुमनें तो कुछ खाया ही नहीं" कामिनी ने खिड़की से नज़र हटाकर देखा तो सामने सलीम को पाया जो उसके ही कालेज में पढ़ता था,शायद वो भी अपने घर जा रहा था,कामिनी मुस्कुरा कर बोली"अरे! सलीम तुम! क्या तुम भी अपने घर जा रहे हो? सलीम मुस्कुरा कर बोला जी मै भी आपके साथ दिल्ली जा रहा हूँ, कामिनी को सचमुच भूख लगी थी उसने सलीम के हाथ से सैन्डविच ले लिए और खाने लगी दोनों बातें भी करते जा रहे थे,कामिनी को आश्चर्य हो रहा था कि सलीम उसके ही शहर में रहता है और उसे आज पता चला। सलीम एक खूबसूरत और शालीन युवक था और कभी कभार कामिनी उससे कुछ नोट्स वगैरह ले लिया करतीं थीं क्योकि सलीम पढ़ने में बेहद मेधावी छात्र था।
खैर बातों ही बातों में सफर कैसे कट गया पता ही नहीं चला और दिल्ली आ गई दोनों साथ ही उतरे दोनों ने साथ ही ओटो लिया क्योकि दोनों को आज ही पता चला था कि उनका पता भी एक ही था वही पुरानी दिल्ली ।
ओटो से पहले कामिनी उतरी और सलीम से उसनें विदा ली । कुछ ही देर में वो भी अपने घर के सामने थीं, ओटो वाले को पैसे देकर वो लगभग दौड़ते हुए अपने घर पहुँचीं घर जाकर वो दौड़कर अपनी भाभी से लिपट गई कुछ देर बैठकर वो भाभी से बातें करतीं रहीं फिर नहाने चलीं गई नहाकर आई तो भाभी ने उसके लिए कौफी बना दी कौफी पीकर वो सोने चलीं गई भाभी ने खाने का पूछा तो बोली ट्रेन में उसनें काफी कुछ खा लिया था इसलिए उसका पेट भरा हुआ है और अब वो सोने जा रहीं है।
शाम को जब वह नींद से उठीं तो पूरा घर बिरयानी की खुशबू से भरा हुआ था,उसे बिरयानी बहुत पसंद थीं इसलिए उसके आने पर उसकी भाभी उसके लिए बिरयानी जरूर बनातीं थीं।
वो उठीं और मुंह हाथ धोकर भाभी के पास जाकर बैठ गई और उनसे बातें करने लगीं कुछ ही देर में भैया भी आ गए और सब बातों में मशगूल हो गए, रात को खाना खाकर कामिनी सोने चलीं गई तभी उसके मोबाइल में किसी का फोन आया उसनें रिसीव किया तो दूसरी ओर सलीम था,न जाने क्यों उसका दिल धड़क उठा और फिर दोनों काफी देर तक बातें करते रहे,दूसरे दिन कामिनी शाम को यूँ ही अपने कोलोनी में टहल रहीं थी तो सामने से उसे सलीम आता दिखा वो चौक गई और बोली"अरे सलीम तुम यहाँ "क्या तुम भी इसी कोलोनी में रहते हो क्या? सलीम मुस्कुरा दिया जी कामिनी जी और दोनों हंस पड़े, उस दिन दोनों काफी देर तक टहलते और एक दूसरे से बातें करते रहे।
अब तो ये रोज का सिलसिला बन गया था दोनों रोज टहलते और काफी देर तक एक दूसरे से बातें करते रहते,एक रात सलीम ने कामिनी को अपने दिल की बात बता दी कामिनी भी जैसे यही सब सलीम से सुनना चाह रही थी वो भावुकता से सलीम के आगोश में समा गई। सलीम ने भी उसके लबों पर अपने लब रख दिए शायद दोनों को होश ही न आता कि किसी के आने की आहट से दोनों दूर हट गए,दोनों ने फैसला किया कि थर्ड इयर कम्प्लीट होतें ही सलीम कोई जौब कर लेगा और दोनों शादी कर लेगें, हालांकि ये इतना आसान न था क्योंकि सलीम मुस्लिम था और कामिनी हिन्दू ब्राम्हण परिवार से थीं मगर इश्क़ करने वालों ने कब किसी जाति धर्म और दूसरे किसी बाधा को अपने आगे दीवार बनने दिया है जो ये दोनों देते,खैर कामिनी और सलीम ने फैसला कर लिया कि वो पहले स्नातक की पढ़ाई पूरी कर लेगें फिर सलीम जौब और पढ़ाई साथ साथ कर लेगा और कामिनी से भी विवाह कर लेगा।
घर आकर कामिनी ने भैया भाबी के साथ खाना खाया, आज उसकी भाभी ने गोश्त, और मछली का सालन और चावल बनाया था,खाना खाकर कामिनी अपनी भाभी की तारीफ किएँ बिना रह न सकी, उसकी भाभी सचमुच बहुत लजीज़ खाना पकाती थीं।
दूसरे दिन कामिनी टहलने निकलीं तो उसे सलीम कहीं नहीं दिखा काफी देर इंतज़ार करने के बाद वह घर चलीं आई रात को उसनें कौल किया तो फोन बजता रहा किसी ने रिसीव नहीं किया,दूसरे दिन भी यही हाल रहा, कामिनी को सलीम के घर का एडरेस नहीं मालूम था नहीं तो वह तो उसके घर ही चली जाती,आखिर तीसरे रोज फोन रिसीव किया गया शायद उसकी अम्मी ने फोन उठाया था मगर उसकी अम्मी ने जो कुछ फोन पर कामिनी को बताया उसे सुनकर कामिनी के हाथ से फोन गिर गया, उसकी अम्मी ने बताया कि जिस दिन कालेज की छुट्टियां हुईं थीं उसी रोज सलीम ने स्टेशन जाने के लिए जो ओटो पकड़ा था उस ओटो का एक ट्रक से टक्कर हो गया और ओटो पलट गई सलीम के सर पर गहरी चोट लगी थी ओटो वाले ने तुरंत उसे अस्पताल पहुँचाया मगर तब तक उसकी मौत हो चुकी थी...........
कामिनी सकते में आ गई यानि अब तलक़ वो सलीम से नहीं उसके रूह से मिलतीं रही थी, तभी उस रात जब सलीम ने उसे आगोश में भरा था उसका जिस्म बर्फ़ की मानिद ठंडा था,उसने सलीम को पा कर भी खो दिया था।
© Deepa