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आत्म संगनी की आंख का आसूं.....
आज आत्म संगनी से बिछड़े 45दिन गुजर गए थे, इन दिनों उसकी याद की खुशबू, हरपल मेरे तन बदन को महका रही थे। उसको पहली बार देखना,उसको पहली बार महसूस करना उसको चूमना ,उसके बदन की खुशबू,उसके बालों की रंगत,उसकी मुलायम सी उंगलियों में मेरे हाथ का होना,उसको छूकर महसूस करना।और सबसे खास उसको बिना पाए अपने आप में पूर्ण रूप से आत्मसात करना गर्ज के उसके साथ बिताये हर पल की याद मेरे लिए एक अनमोल तोहफा था। उसकी यादों की अंजुमन को मैने अपने जीवन की धरोहर बना लिया था।
आज अचानक उसकी बहुत याद आ रही थी,उसको स्पर्श उसकी खुशबू मुझे फिर पुकार रही थी।
मुझे याद आ रही थी वह आखिरी मुलाकात से पहले के उन पलों की जब उसकी खामोशी भरी आह,मेरे हाथों में उसका हाथ,उसकी खुशबू भरे बदन की महक हर अनमोल पल की याद आ रही थी,उससे बिछड़ने की घड़ी जू जू करीब आ रही थी मेरी व्याकुलता बढ़ती जा रही थी मुझे मालूम था यह मेरी उससे आखिरी मुलाकात है,कल सुबह होने से पहले मैं इससे दूर हो जाऊंगा,उसकी खुशबू उसके अहसास से दूर सिर्फ यादों के सहारे अपने आप को मनाता रहूंगा कि में उसके साथ कुछ ओर पल खुशगवार गुजार सकता था। उसको बाहों में लेकर अपने सीने पर उसके दिल की धड़कन को सुन सकता था। वह मजबूर थी आत्मा का मिलन तो हो गया था लेकिन हसरते अभी भी हिलोरे खा रही थीं।
आज अचानक सुबह सुबह फिर उसकी खुशबू से मन मोहित हो गया,आज फिर उसकी सूरत देखकर उसको पाने की हसरत जागी।उसकी आंखों से बहते आंसू मुझेमेरी गलतियों का अहसास दिला रहे थे क्यों मैने उसके मासूम से दिल को दुखाया जिसके कारण उसकी मोटी मोटी आंखों में से नायब मोती आसूं बनकर बह रहे थे।क्यों मैने उसका दिल दुखाया। में अपने आपको माफ नही करूंगा।
मेरी प्रिय मेरी जान
© Dr.SYED KHALID QAIS