यात्रा केदारनाथ#
केदारनाथ यात्रा #
बहुत याद गार रही और बहुत अच्छी भी🥰🥰
9/9/2022 को निकले थे अपनी यात्रा के लिए उस समय बहुत बारिश हो रही थी पहाड़ खिसक गए थे और बहुत कुछ हमको बहुत लोगो ने रोका
छोटा बच्चा है साथ में लेकर मत जाओ
हमने किसी की नही सुनी और निकल गए यात्रा पर अपनी स्क्यूटी से सुभा 4 :00 बजे निकल गए और थोड़ी देर में। बारिश शुरू हो गई बहुत तेज हम ने रेन कोट निकाला पहना और चल दिए हम देहरादू में रहते है तो हमको ऋषिकेश जाना था
5: 00 बजे ऋषिकेश पहुंच गए फिर धीरे धीरे आगे चलते गए बहुत जगह पहाड़ खिसक गए थे रास्ते खराब थे और मौसम भी कई तरह के थे जैसे मानो अपने रंग दिखा रहा हो हमारी हिम्मत को तोड़ना चाहता हो ☺️☺️☺️
हम भी कमजोर नही थे मौसम को पीछे छोड़ कर आगे चलते गए फिर मेरी बेटी को उल्टी होने लगी फिर मन थोड़ा डर गया अब की होगा फिर भोले का नाम लिए चल दिए फिर आगे चलते गए
शाम होने से पहले पहुंचना था फिर रास्ते भी खराब होते है इसलिए और छोटा बच्चा भी साथ था इसलिए थोड़ा जल्दी थी पहुंचने की बहुत कुछ देखने को मिला गांव कस्बा और बिना सुविधा के रहते लोग अलक नंदा भागीरथी नदी का संगम देखा फिर धरी देवी मंदिर और बहुत कुछ करते हुए आगे पहुंच फिर सोन प्रयाग पहुंच गाड़ी पार्किंग में लगा दी अब वहां से पैदल जाना था वहां से 50 rs 50 rs में जीप करी और गौरी कुंड उतार दिया अब हमने सोचा की फुट टेकिंग कर देंगे लेकिन रास्ता खराब था और हम थक भी गया थे 7:00 बजे हम गौरी कुंड में पहुंचे ☺️☺️☺️☺️☺️
उसके बाद हम शेयरिंग में रूम लिया एक रात रुकने का 3500 rs थे फिर हम रुक गए रात को कहना खाया बहुत महंगा खाना कोई स्वाद नही हम गौरी कुंड के पास गए जहां लोग नहा रहे थे
ताकि सुभा सीधा ट्रेकिंग शुरू करदे उस कुंड में गर्म पानी आ रहा था और बाकी ठंडा हम सब सो गए 4:00 बजे के निकले 7:00 बजे तक नॉन स्टॉप गाड़ी चली थक गए 2 पहिया थी जल्दी निकल गए 4 पहिया तो वहीं अटकी हुई थी कभी भी जाओ 2 पहिया से जाओ क्योंकि कभी भी कोई भी पहाड़ कब गिर जाए कोई पता नही कभी भी कुछ भी हो सकता है धरी देवी मंदिर के बाद सफर शुरू हो गया था रास्ते इतने खतरनाक की पूछो मत देखकर डर लगता था 🥺🥺🥺🥺
तभी भोले का नाम लिया और आगे बढ़ गए फिर 5: 00 बजे ट्रेकिंग शुरू करी 25 km है ट्रेकिंग लेकिन गलत दे रखा है 14 km ऐसा कुछ नही होता फिर आगे बढ़ रहे थे और फिर घोड़े खच्चर डोली पालकी वाले ही रास्ते नही देते सबके एक रास्ते आना जाना एक ही रास्ते से बहुत दिक्कत हो रही थी और रास्ते बहुत खराब सिर्फ लीद पड़ी थी खच्चर की रास्ता साफ नही ऊपर से खड़ी चढ़ाई हालत खराब हो गई थोड़ी दूर चलकर जितने गरम कपड़े पहने सब उतार दिए कभी कभी गर्म कपड़े पहन कर ट्रेकिंग मत करना बैग ले उसमे रख लें और मंदिर जाकर पहन लो वहां जरूर होती है जब वहां झरने देखे मन खुश हो गया पहाड़ देखा बर्फ से ढका दिल खुश हो गया
बढ़ते गए और चलते गए प्यास लगी झरने से पानी पी लिया मानो अमृत मिल गया फिर आगे गए पहाड़ खिसक रहे थे क्योंकि वहां मिनट मिनट के बारिश धुंध हो रही थी तभी बहुत रिस्क होता है मंदिर जाना जब पहाड़ टूट कर मेरे सामने गिरा मेरे पति 15 कदम की दूरी पे आगे बढ़ गए मुझे बहुत रोना आया की मेने गलती करदी और शायद मुझ नही आना चाहिए था फिर आगे चलते चलते हम इतना थक गए की और चलने की हिम्मत नही थी
शाम हो रही थी फिर 6:00 बजे गए फिर शॉट कट मरते हुए आगे बढ़ गए अपनी बेटी को गोद में लिया और अपने पति को बोला चलो जल्दी जल्दी निकल गए और 7:30 बजे आरती में शामिल हो गए और जहां सांस फूल रही वहां कपूर सूंघ रहे थे ऑक्सीजन लेवल ठीक रहे हमे यात्रा करते समय बहुत अच्छे लोग मिले बहुत दूर दूर से लोग आ रहे थे ब्लॉगर खच्चर पे बैठकर कर वीडियो बना रहे थे
खच्चर वाले बिना खाना पानी दिए उनसे काम करवा रहे थे उनको मार रहे थे बहुत अत्याचार देखा बेजुबान पे मुझे बहुत दुख हुआ अच्छे खासे लोग पैदल यात्रा नही कर रहे थे घोड़े खच्चर का सहारा ले रहे थे कितने घोड़े खच्चर यात्री को लेकर गिर जा रहे थे और उनके मालिक उनको सिर्फ मार रहे थे 🥺🥺🥺🥺🥺🥺
मंदिर में आरती करी फिर खाना खाने पहुंचे बहुत ठंड थी _5 था वहां गर्म डाल तुरत जम गई पानी बर्फ जैसा बहुत बेकार हालत थे रात में टेंट किया 6:000 का एक रात रुकने का 🥺🥺🥺🥺🥺
सुभा का जो नजारा देख लगा सबकुछ मिल गया
pora घुमा फिर फोटो ली और मन खुश हो गया भैरो मंदिर नही जा पाए थक गए थे
7:00 सुभा उतने लगे उतरते वक्त शाम 4:00 बज गए और टेंपो किया उसी दिन निकल गए
पार्किंग से गाड़ी ली और रात में कच्चे पहाड़ में घूमकर निकलते रहे वो ऐसी जगह थी एक झटका और सबकुछ खतम रात के 12:00 बज गए सिर्फ पहाड़ और कुछ नही ना कोई घर न कोई होटल न कोई इंसान रोड बिलकुल खाली थी सुसान रास्ता बहुत डर लग रहा था कहीं कुछ हो न जाए फिर एक जगह इतना जाम पूछो मत वो भी पहाड़ों के नीचे देखकर डर लग रहा था खड़ी चढ़ाई चढ़कर उतार कर बिना आराम किए चल दिए बहुत थकान महसूस हो रही थी फिर धीरे धीर रास्ता खुल हम आगे आए फिर एक ढाबा आया हमने खाना खाया और फिर चल दिए मन करा वहीं सो जाऊं फिर गाड़ी पे बैठे चल दिए हम सब जब निकले बहुत सारे लोग थे लेकिन सभी कहीं न कहीं रुक गए थे आराम के लिए और हम निकल गए थे तभी प्रेशान हो गए 🥺🥺🥺🥺🥺
उसी पहाड़ी के रास्ते में एक गांव आया मन करा शेल्टर के नीचे सो जाऊं सुभा चलते लेकिन पति ne बिलकुल भी नही सुना और चलते गए गाड़ी चलाते टाइम बहुत नींद आई लेकिन वो चलाते गए आंखें बंद कर के हमको घर पहुंचना। था तभी एक चाय बेचने वाला मिला हमने रूकर चाय ली चाय बिलकुल अच्छी नही मेने नही पी मन करा उसकी दुकान पे सो जाओ बस धीरे धीरे चल दिए
एक जगह तो उनकी आंख लग गई और जब गाड़ी एक दम खाई के पास पहुंची गाड़ी उछल पड़ी बहुत ऊपर और बस थोड़ा दूर भगा ले पेट्रोल बाडिया था की कम नही हुआ मंदिर से एन टॉर्क थी तो झेल गई दूसरी पेट्रोल भी मांगती हमको गिरा भी देती बाद के बोले मुझे नींद आ गई थी
मेने बोला कहीं सो जाओ रुकर नही रुके फिर 9:00 से 1:00 तक पहाड़ों में घूम रहे थे पहाड़ खतम नही हो रहे थे और डर भी लग रहा थे और हवा भी तेज थी पत्थर गिर रहे थे बहुत सारे कब क्या हो जाए पता नही थी डर सता रहा था
1:30 बजे ऋषिकेश आया तो थोड़ी राहत मिली लेकिन ये राहत भी थोड़ी देर की थी वहीं जब हम अकेले पढ़ रहे थे जो भी गाड़ी निकलती उसके साथ उसी स्पीड में गाड़ी दौड़ा देते तब जा कर ऋषिकेश पहुंचे कितने लोग डर जाते। और अपनी गाड़ी साइड में लगा लेते और रुक जाते हम आगे निकल जाते थे
फिर ऋषिकेश के जंगल मे घुसे जहां हाथी शेर नील गाय भालू हिरण और बहुत कुछ गुलदार घूमते थे और रात में ही घूमते है क्योंकि शांत हो जाता था अब यहां पर देखो गाड़ी स्लो कर के चला रहे थे और मुझे डर लग रहा था कहीं कोई
जानवर या कोई सामने ना आ जाए तभी 2:00 बजे भी कोई नही था तभी एक 4 पहिया पीछे से आ रही थी थोड़ी राहत मिली और हम चल रहे थे और डर रहे थे की आज गए आज कोई आ गया तो और बस भोले के सहारे थे तभी तभी एक स्क्युटी हमारे पास से तेजी से निकल गई मेने बोल इससे तेज तो हमारी भागती है गाड़ी फिर ये कैसे जब पूछ लिया ti बोले मेने गाड़ी स्लो कर। रखी है
इतना गुस्सा आया 15 मिनट का रास्ता 30 घंटे लग गए और 4 पहिया भी आग हो गया हम अकेले रह गए फिर हमने जो गाड़ी दौड़ाई की 4 पहिया पास वाली स्कूटी भी पीछे रहे गई थी
और हम 3:00 बजे रात को घर पहुंचे और तब जाकर राहत मिली 11/9/2022 को घर पहुंचे 3 दिन में यात्रा हुई वैसे 7 दिन लगते है बहुत याद गार रहेगी ye यात्रा कभी नही भूल सकती उम्मीद हैं आप कभी हमारी जेसी गलती नहीं करोगे हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏🙏
© Teri Meri baten
बहुत याद गार रही और बहुत अच्छी भी🥰🥰
9/9/2022 को निकले थे अपनी यात्रा के लिए उस समय बहुत बारिश हो रही थी पहाड़ खिसक गए थे और बहुत कुछ हमको बहुत लोगो ने रोका
छोटा बच्चा है साथ में लेकर मत जाओ
हमने किसी की नही सुनी और निकल गए यात्रा पर अपनी स्क्यूटी से सुभा 4 :00 बजे निकल गए और थोड़ी देर में। बारिश शुरू हो गई बहुत तेज हम ने रेन कोट निकाला पहना और चल दिए हम देहरादू में रहते है तो हमको ऋषिकेश जाना था
5: 00 बजे ऋषिकेश पहुंच गए फिर धीरे धीरे आगे चलते गए बहुत जगह पहाड़ खिसक गए थे रास्ते खराब थे और मौसम भी कई तरह के थे जैसे मानो अपने रंग दिखा रहा हो हमारी हिम्मत को तोड़ना चाहता हो ☺️☺️☺️
हम भी कमजोर नही थे मौसम को पीछे छोड़ कर आगे चलते गए फिर मेरी बेटी को उल्टी होने लगी फिर मन थोड़ा डर गया अब की होगा फिर भोले का नाम लिए चल दिए फिर आगे चलते गए
शाम होने से पहले पहुंचना था फिर रास्ते भी खराब होते है इसलिए और छोटा बच्चा भी साथ था इसलिए थोड़ा जल्दी थी पहुंचने की बहुत कुछ देखने को मिला गांव कस्बा और बिना सुविधा के रहते लोग अलक नंदा भागीरथी नदी का संगम देखा फिर धरी देवी मंदिर और बहुत कुछ करते हुए आगे पहुंच फिर सोन प्रयाग पहुंच गाड़ी पार्किंग में लगा दी अब वहां से पैदल जाना था वहां से 50 rs 50 rs में जीप करी और गौरी कुंड उतार दिया अब हमने सोचा की फुट टेकिंग कर देंगे लेकिन रास्ता खराब था और हम थक भी गया थे 7:00 बजे हम गौरी कुंड में पहुंचे ☺️☺️☺️☺️☺️
उसके बाद हम शेयरिंग में रूम लिया एक रात रुकने का 3500 rs थे फिर हम रुक गए रात को कहना खाया बहुत महंगा खाना कोई स्वाद नही हम गौरी कुंड के पास गए जहां लोग नहा रहे थे
ताकि सुभा सीधा ट्रेकिंग शुरू करदे उस कुंड में गर्म पानी आ रहा था और बाकी ठंडा हम सब सो गए 4:00 बजे के निकले 7:00 बजे तक नॉन स्टॉप गाड़ी चली थक गए 2 पहिया थी जल्दी निकल गए 4 पहिया तो वहीं अटकी हुई थी कभी भी जाओ 2 पहिया से जाओ क्योंकि कभी भी कोई भी पहाड़ कब गिर जाए कोई पता नही कभी भी कुछ भी हो सकता है धरी देवी मंदिर के बाद सफर शुरू हो गया था रास्ते इतने खतरनाक की पूछो मत देखकर डर लगता था 🥺🥺🥺🥺
तभी भोले का नाम लिया और आगे बढ़ गए फिर 5: 00 बजे ट्रेकिंग शुरू करी 25 km है ट्रेकिंग लेकिन गलत दे रखा है 14 km ऐसा कुछ नही होता फिर आगे बढ़ रहे थे और फिर घोड़े खच्चर डोली पालकी वाले ही रास्ते नही देते सबके एक रास्ते आना जाना एक ही रास्ते से बहुत दिक्कत हो रही थी और रास्ते बहुत खराब सिर्फ लीद पड़ी थी खच्चर की रास्ता साफ नही ऊपर से खड़ी चढ़ाई हालत खराब हो गई थोड़ी दूर चलकर जितने गरम कपड़े पहने सब उतार दिए कभी कभी गर्म कपड़े पहन कर ट्रेकिंग मत करना बैग ले उसमे रख लें और मंदिर जाकर पहन लो वहां जरूर होती है जब वहां झरने देखे मन खुश हो गया पहाड़ देखा बर्फ से ढका दिल खुश हो गया
बढ़ते गए और चलते गए प्यास लगी झरने से पानी पी लिया मानो अमृत मिल गया फिर आगे गए पहाड़ खिसक रहे थे क्योंकि वहां मिनट मिनट के बारिश धुंध हो रही थी तभी बहुत रिस्क होता है मंदिर जाना जब पहाड़ टूट कर मेरे सामने गिरा मेरे पति 15 कदम की दूरी पे आगे बढ़ गए मुझे बहुत रोना आया की मेने गलती करदी और शायद मुझ नही आना चाहिए था फिर आगे चलते चलते हम इतना थक गए की और चलने की हिम्मत नही थी
शाम हो रही थी फिर 6:00 बजे गए फिर शॉट कट मरते हुए आगे बढ़ गए अपनी बेटी को गोद में लिया और अपने पति को बोला चलो जल्दी जल्दी निकल गए और 7:30 बजे आरती में शामिल हो गए और जहां सांस फूल रही वहां कपूर सूंघ रहे थे ऑक्सीजन लेवल ठीक रहे हमे यात्रा करते समय बहुत अच्छे लोग मिले बहुत दूर दूर से लोग आ रहे थे ब्लॉगर खच्चर पे बैठकर कर वीडियो बना रहे थे
खच्चर वाले बिना खाना पानी दिए उनसे काम करवा रहे थे उनको मार रहे थे बहुत अत्याचार देखा बेजुबान पे मुझे बहुत दुख हुआ अच्छे खासे लोग पैदल यात्रा नही कर रहे थे घोड़े खच्चर का सहारा ले रहे थे कितने घोड़े खच्चर यात्री को लेकर गिर जा रहे थे और उनके मालिक उनको सिर्फ मार रहे थे 🥺🥺🥺🥺🥺🥺
मंदिर में आरती करी फिर खाना खाने पहुंचे बहुत ठंड थी _5 था वहां गर्म डाल तुरत जम गई पानी बर्फ जैसा बहुत बेकार हालत थे रात में टेंट किया 6:000 का एक रात रुकने का 🥺🥺🥺🥺🥺
सुभा का जो नजारा देख लगा सबकुछ मिल गया
pora घुमा फिर फोटो ली और मन खुश हो गया भैरो मंदिर नही जा पाए थक गए थे
7:00 सुभा उतने लगे उतरते वक्त शाम 4:00 बज गए और टेंपो किया उसी दिन निकल गए
पार्किंग से गाड़ी ली और रात में कच्चे पहाड़ में घूमकर निकलते रहे वो ऐसी जगह थी एक झटका और सबकुछ खतम रात के 12:00 बज गए सिर्फ पहाड़ और कुछ नही ना कोई घर न कोई होटल न कोई इंसान रोड बिलकुल खाली थी सुसान रास्ता बहुत डर लग रहा था कहीं कुछ हो न जाए फिर एक जगह इतना जाम पूछो मत वो भी पहाड़ों के नीचे देखकर डर लग रहा था खड़ी चढ़ाई चढ़कर उतार कर बिना आराम किए चल दिए बहुत थकान महसूस हो रही थी फिर धीरे धीर रास्ता खुल हम आगे आए फिर एक ढाबा आया हमने खाना खाया और फिर चल दिए मन करा वहीं सो जाऊं फिर गाड़ी पे बैठे चल दिए हम सब जब निकले बहुत सारे लोग थे लेकिन सभी कहीं न कहीं रुक गए थे आराम के लिए और हम निकल गए थे तभी प्रेशान हो गए 🥺🥺🥺🥺🥺
उसी पहाड़ी के रास्ते में एक गांव आया मन करा शेल्टर के नीचे सो जाऊं सुभा चलते लेकिन पति ne बिलकुल भी नही सुना और चलते गए गाड़ी चलाते टाइम बहुत नींद आई लेकिन वो चलाते गए आंखें बंद कर के हमको घर पहुंचना। था तभी एक चाय बेचने वाला मिला हमने रूकर चाय ली चाय बिलकुल अच्छी नही मेने नही पी मन करा उसकी दुकान पे सो जाओ बस धीरे धीरे चल दिए
एक जगह तो उनकी आंख लग गई और जब गाड़ी एक दम खाई के पास पहुंची गाड़ी उछल पड़ी बहुत ऊपर और बस थोड़ा दूर भगा ले पेट्रोल बाडिया था की कम नही हुआ मंदिर से एन टॉर्क थी तो झेल गई दूसरी पेट्रोल भी मांगती हमको गिरा भी देती बाद के बोले मुझे नींद आ गई थी
मेने बोला कहीं सो जाओ रुकर नही रुके फिर 9:00 से 1:00 तक पहाड़ों में घूम रहे थे पहाड़ खतम नही हो रहे थे और डर भी लग रहा थे और हवा भी तेज थी पत्थर गिर रहे थे बहुत सारे कब क्या हो जाए पता नही थी डर सता रहा था
1:30 बजे ऋषिकेश आया तो थोड़ी राहत मिली लेकिन ये राहत भी थोड़ी देर की थी वहीं जब हम अकेले पढ़ रहे थे जो भी गाड़ी निकलती उसके साथ उसी स्पीड में गाड़ी दौड़ा देते तब जा कर ऋषिकेश पहुंचे कितने लोग डर जाते। और अपनी गाड़ी साइड में लगा लेते और रुक जाते हम आगे निकल जाते थे
फिर ऋषिकेश के जंगल मे घुसे जहां हाथी शेर नील गाय भालू हिरण और बहुत कुछ गुलदार घूमते थे और रात में ही घूमते है क्योंकि शांत हो जाता था अब यहां पर देखो गाड़ी स्लो कर के चला रहे थे और मुझे डर लग रहा था कहीं कोई
जानवर या कोई सामने ना आ जाए तभी 2:00 बजे भी कोई नही था तभी एक 4 पहिया पीछे से आ रही थी थोड़ी राहत मिली और हम चल रहे थे और डर रहे थे की आज गए आज कोई आ गया तो और बस भोले के सहारे थे तभी तभी एक स्क्युटी हमारे पास से तेजी से निकल गई मेने बोल इससे तेज तो हमारी भागती है गाड़ी फिर ये कैसे जब पूछ लिया ti बोले मेने गाड़ी स्लो कर। रखी है
इतना गुस्सा आया 15 मिनट का रास्ता 30 घंटे लग गए और 4 पहिया भी आग हो गया हम अकेले रह गए फिर हमने जो गाड़ी दौड़ाई की 4 पहिया पास वाली स्कूटी भी पीछे रहे गई थी
और हम 3:00 बजे रात को घर पहुंचे और तब जाकर राहत मिली 11/9/2022 को घर पहुंचे 3 दिन में यात्रा हुई वैसे 7 दिन लगते है बहुत याद गार रहेगी ye यात्रा कभी नही भूल सकती उम्मीद हैं आप कभी हमारी जेसी गलती नहीं करोगे हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏🙏
© Teri Meri baten