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dream v/s love❣️
ये कहानी एक लड़की की है।जिसका नाम प्रिय है।जो बहुत सहमी सी सीधी सी सबको अपने जैसा समझने वाली लड़की की है।
सच कहूँ तो कभी कभी उसे भी लगता था कि उसके विचार इस दुनिया से बोहोत अलग हैं।जब भी कभी उसे झूट ,फरेब,धोका मिलता वो अक्सर ऐसा सोचती।
इसलिए उसने अपने विचारों को पूर्ण विराम,,, न न विचारों की उड़ान को उसने अपने सपनों में जगह दे दी।
एक धारा में चलता हुआ जीवन अचानक किसी के लिए हिलोरें मारने लग जाता है।जब एकाएक कोई नज़र में बस जाता है।
इस ही हुआ प्रिया की ज़िंदगी में।
इक रोज़ प्रिया की नज़र में वो शख्स भी आया जिसे देख प्रिया के मन में प्रेम की भावना ने अंगड़ाई ली।"वीर" एक बहुत अच्छा लड़का जिसके बारे में प्रिया को फिलहाल ज़्यादा कुछ पता भी न था ।महज़ पड़ोसी ही था पर उसे देख कर एक ख़ुशी की लहर जिससे मन में वो सारे विचार जागने लगे।पहली नज़र में वो बेहद पसंद आया प्रिया को।
प्रिया मन ही मन वीर को पसन्द करने लगी।उसको बहुत अच्छे से पता था कि ये अनकहा से ख़्वाब है, जो कभी पूरा नहीं होगा।ये अधूरी कहानी शुरू होने से पहले ख़त्म होने की किताब बन रही थी।प्रिया ने भी अपने सारे ख़्वाब और ख्वाइशें सबको ख्वाबों तक ही रखना चाहा।प्रिया ,वीर के मन की जानती ही न थी ।कभी कभी नज़रें मिलती उसमें ही ढेर सारी खुशियाँ इकठ्ठी कर लेती थी।कभी बात हो जाये तो खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं।
प्रिया ने सोच लिया था कि वीर को कभी दिल की बात नहीं कहेगी क्योंकि जो अनजान बनकर खुशी मिल रही है।जानकर शायद ये खुशियां भी न मिले।बेहतर यही है इस पसन्द को हमेशा के लिए मन में बंद कर लिया जाए।
पर ......
कभी कभी मुमकिन ये भी नहीं होता।
जैसा आप सोचो हमेशा मुश्किल वो भी नहीं होता.....
वीर को छुपकर देखना,उसकी मुस्कुराहट, उसका मासूम सा चेहरा,उसका चलना,बोलना सब कुछ उसे देखकर ही सुकून महसूस करती थी प्रिया,,,,
अब सोचो जिसे देख कर ही सुकून मिले वो गर सच में मिल जाये.....तो क्या होगा....🤗🤗🤗🤗
एक शाम ऐसी भी आई जिस रोज़ प्रिया ने वीर को देख कर मन ही मन में सोचा काश ! ये मेरे लिए होता ,,काश मुझसे प्यार का इज़हार करता,,,काश! इसपे मेरा हक़ होता। काश! हम एक होते......
शायद ये शाम उसकी हर ख्वाईश पूरी होने की शाम थी।
छुप -छुपके देखने का सिलसिला तो चलता ही रहता। अगर ये "काश" मुक्कमल नही होता।।
एक दिन सोशल मिडिया पे वीर प्रिया से मिला।
एक हँसी मज़ाक से बात शुरू भी हो गयी।
सिलसिला चलने लगा फिर भी प्रिया ने दिल की बात नही की ।करती भी कैसे लड़की थी वीर से कुछ बोलने से पहले उसे खोने का डर भी था मन में।अब बात हो रही है""" इसी को इज़हार समझकर मन ही मन खुश होने लगी।पर वीर प्रिया जैसा न था।
4 दिन बात करने के बाद उसने तो वो कह दिया जो प्रिया के दिल मे ही था।।
बड़े आराम से सारी बातें एक झटके में बोल गया।कि प्रिया मैं तुम्हें बेहद पसन्द करता हूँ और मैं तुमसे प्यार करता हूँ।।और मैं तुम्हें खोंना नहीं चाहता।ये msg पढ़ने के बाद प्रिया तो होश में ही नहीं ।।के ये क्या हो रहा है,,, ये कहीं सपना तो नहीं"""...प्रिया कुछ लिख ही नहीं पा रही थी ,,,वहां वीर की बेचैनी ....कि कहीं प्रिया नाराज़ तो नहीं हो गयी।वीर का डर प्रिया का सपना.... दोनों एक खामोशी में सिमट गये....,।बोहोत कुछ कहने की चाहत में कई बार हम कुछ नहीं कह पाते।।
next-part 2

अब इस प्रेम कहानी को आगे पढ़ने के लिए कृपया मुझे कमेंट बॉक्स में बताएं।कि इस कहानी को आप आगे पढ़ना चाहते हैं।।।


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