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मेरी आखरी मुलाकात... उनसे...!!!
आज मैं पहली बार सबसे पहले उठा; सुबह के कुछ पांच बजे! वैसे सोया ही कौन था? सुबह उनसे मिलने के ख्वाब ने ही नींद उडा रखी थी। ये मेरी ज़िंदगी का पहला ऐसा दिन था जब अलार्म की टीक टीक और मम्मी की कीट कीट से पहले उठा हूं। क्योंकि हररोज सुबह तो अलार्म ही रखता था, साढ़े सात से आठ बजे के बीच पूरे सात अलार्म रखें थे, हर पांच मिनट के बाद एक। और फिर उठाती तो मम्मी ही थी जब वो डांट कर चिल्लाती, "दस बज गए हैं" जबकि बजे तो सिर्फ सवा आठ ही थे। लेकिन आज, आज का दिन कुछ खास ही था।

मैंने जल्दी से नाह तो लिया था पर बात रुकी रेडी होने में; नहीं नहीं, कपड़ों का सिलेक्शन तो कल रात को ही हो चुका था, देरी तो कपड़े पहनने...