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एक तस्वीर
एक तस्वीर ने मुझे मेरे बीते वक्त की याद दिलाई है आज फिर वही सुबह है आज उस सुबह को देख कर फिर वही खुशी चमक आई है मेरे चेहरे पर जो कभी उस वक्त आया करती थी दोस्तों के साथ गप्पे मारना बाहर खाने जाना और कभी-कभी हाफ डे वाले दिन स्कूल में 1 बच्चों से खाना मंगाना उस खाने को भी इतना सोच समझ में मंगाना कभी कबार तो चौकीदार पकड़ लेता था बच्चों को और खाना- जप्त कर लेता था आज फिर वही पुराने दिनों से एक ही याद चली आई है
मुझसे मिलने मेरी प्यारी दोस्त चले आए
दोस्तों से मिलकर मुझे उस दिन की याद आई है
अगर वह ना आते तो मैं भी छुट्टी कर लेती टीचर्स की डांट भी खानी पड़ती सबकी डांट पड़ती तो मेरी भी बढ़ जाती वह दिन अच्छे थे सब रोते हैं
फेयरवेल वाले दिन थेऔर हम हंसते थे कभी सोचा ना था
कि इस तरह बिछड़ेंगे कि सालों साल मनाएंगे इतने लोगों की भीड़ में कभी ना मेरी आंखें और किसी से टकराई
क्योंकि मुझे मेरे दोस्तों में सारी दुनिया दिखाई देती थी और हां टीचर्स के ना आने पर क्लास में मजे करना बैडमिंटन खेलना इधर-उधर सारे स्कूल में घूमना और स्कूल खत्म हो जाने पर रास्ते में फिर वही आम के पेड़ का दिखना जिसको मैं देख तो सकती थी पर उसका आम तोड़कर कभी नहीं खा सकती थी बस यही है मेरे जीवन का छोटा सा हिस्सा जिसकी कुछ खट्टी मीठी यादें
by Nandini
© story writing and Kavita writing with listening