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नियति
आज का दिन किसी काले अध्याय से कम नहीं है।जब सारी दुनिया के ग़म बौने नजर आ रहे हैं।अपने ग़म के सामने। ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि ये दिन भी देखना पड़ेगा।ये सब कहते -कहते राहुल की आंख भर आई।
मैं सब कुछ शांत होकर सुनता रहा।
सबसे अधिक इस बात की उहा-फोह मन में चल रही थी मेरे !कि कैसे कहूं? कैसे समझाऊं उसे सब भगवान की मर्जी है कुछ भी हमारे हाथ में नहीं है फिर भी थोडी हिम्मत करके उससे कहा मैने, राहुल मन को मजबूत रखो ।जो होना था वो हो चुका है सोनिया भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वो हमारे दिल के बहुत करीब है। ऐसा कहते कहते मेरी आंखें भी डबडबाई सी अवस्था में हो गई।
फिर मैंने राहुल से विदा लेना ही उचित समझा। और मैं उसके घर से निकलकर अपने घर की ओर चल पड़ा।
राहुल और मैं( विकास ) बचपन के दोस्त है साथ खेले साथ पढ़े, कालेज भी साथ -साथ किया। सोनिया को कालेज के समय से जानता था बहुत ही सीधी सादी, हमेशा पढाई पर फोकस करना। और एक बात और राहुल पर भी।
कालेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद सोनिया दिल्ली चली गई आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए और हम दोनो ने आगरा में जाब करना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे समय का पहिया घूमने लगा और समय रेत की भांति निकलने लगा। राहुल और सोनिया की शादी तय हो चुकी थी दोनों अपना जीवन नये सिरे शुरू करने जा रहे थे। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था कुछ समय पहले सोनिया की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई। जिसका हम सभी को आघात पहुंचा। और राहुल की हालत जैसे बिन बादल बरसात।
होनी को कौन टाल सकता है जो होना है होकर रहेगा।यही नियति है यही संसार है।।



© Yogendra Singh