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जलियावाला बाग/jallianwala bhaag
हर साल की तरह इस साल भी एक मेला उमड़ा था शहर के बाहर,
खिल्खिलाते चेहरे एक दुजे को गले लगाते दिख रहें थे।
नया खरीदा सफेद सलवार सूट पहना था माँ ने,
चांद की चांदनी जैसी शीतल लग रही थी वो।
उस दिन बाबा अपने एक मित्र को हमसे मिला रहें थे,
कि तभी भाई ने मेरी चोटी खिची और मैं...