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अनजानी रात ६
जैसे ही करण को होश आया उसने अपने आप को गुंडों से घिरा हुआ पाया। उसके सर पर बंदूक तनी हुई थी। इससे पहले कि वह कुछ कर पाता, उसने कमल को उसकी ओर आते हुए देखा।

क्यों किया आख़िर तूने ऐसा? क्या दुश्मनी थी हमारी तुझ? करण रोते बिखलाते पूछता है।
तंग आ चुका था मैं! तुझसे और राज से! जलन होती थी मुझे तुम्हारी इस दोस्ती से! कमल बदले की भावना से कहता है।
लेकिन आखिर क्यों? करण जिज्ञासावश पूछता है।
राज और मैं बचपन से ही बेहद करीबी दोस्त रहे हैं। हम अक्सर एक साथ खेलते कूदते, खाते-पीते, और घूमते फिरते थे। हम एक दूसरे से हर बात साझा किया करते थे। लेकिन जिस दिन से तुम उसकी जिंदगी में आए, उसी दिन से राज ने मुझसे दूरियां बनाने शुरू कर दी। जैसे-जैसे तुमसे करीब आने लगे, वैसे वैसे वह मुझसे दूर जाने लगा। मुझे डर था कि कहीं वह मुझे भूल ना जाए। और जिस बात का डर था आखिर वही हुआ। वह मुझे लगभग भूल ही गया। उसे वापस पाने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा। कमल की आंखे पानी पानी हो जाती हैं।
करण : अगर ऐसा था तो वो…राज को मेरा दिखना, वो क्या था?
कमल (हंसते हुए) : उसने बोला, और तूने यकीन कर लिया! वाह!
करण : मतलब… वो भी तेरी ही करतूत थी…?
कमल : हां! वो करण मेरा ही आदमी था जिसने तेरी शकल पाने के लिए उसने रियलिस्टिक फेस मास्क पहना था। और हां! राज को तेरा फोन इसलिए आया था क्योंकि मैंने तेरा फोन हैक कर लिया था। पर ख़ैर, अब न राज को मेरी जरूरत है और न मुझे उसकी!
करण : क्या मतलब?
कमल : ह्म…जो स्मगलिंग का सामान तू उठा लाया था उसे बेचकर मैं पैसे कमाऊंगा और फिर होगी अय्याशी!
करण : ओह! पर तुझे जानकर खुशी होगी की वो सामान मैंने राहुल को दे दिया था!
कमल : क्या??? अच्छा कोई नहीं! इतना खेल खेला तो थोड़ा और सही! जब तुझे जान से मारने की ताकत रखता हूं तो राहुल किस खेत की मूली है!!
करण : बावला हो क्या है क्या? छोड़ मुझे! इसी वक्त!

करण कमल से खुद को छुड़ा तो लेता है लेकिन कमल उसपर गोली चला देता है और करण जमीन पर गिर पड़ता है। करण हिम्मत करके उठता है और एक गुंडे की बंदूक छीन कर कमल के सर पर गोली चलाता है जिससे कमल वहीं उसी समय दम तोड़ देता है।

क्या करण राहुल को कमल के इस प्लान से निकाल पाएगा? क्या वो उसकी जान बचा पाएगा? क्या वो राज को सारी सच्चाई बता पाएगा? क्या राज उसपर यकीन करेगा? सभी सवालों के जवाब मिलेंगे अगले भाग में तो थोड़ी प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की : अनजानी रात ७


© Utkarsh Ahuja