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प्रेम–: मोह...या...मुक्ति ??
प्रेम सबके लिए एक ही होता है,उसका अनुभव और अनुभूति भी समान ही होती है बस भिन्न होता है तो प्रेम करने और उस प्रेम को प्रकट करने का तरीका, जब एक आत्मा दूसरी आत्मा से प्रेम करती है तो वो निश्चित ही प्रेम में भय, और वेदना से परे रहती हैं क्योंकि वो दो आत्माएं सदैव एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं,उनमें ना शारीरिक रुप से कोई लोभ होता है ना ही प्रतिदिन...