...

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सागर किनारे...
कभी ना समंदर का कोई शांत किनारा बन जाना तुम
जहा हम दोनो उस रेत पर बैठ सके
जहा मैं उस रेत पर एक दिल के आकार में तुम्हारा मेरा नाम लिख सकू और उसमे मै वो तीर बनाना नही भूलूंगी

उफ्फ..!!!!वो तीर वाला दिल...!!!!

हां...जानती हूं समंदर की लहरे उस नाम को मिटा देगी पर जब वो नाम उस मिट्टी के साथ एकरूप हो जाएगा तो उन लहरों के साथ हम भी तो मिल जायेगे हमेशा के लिए...!!!

चलो हम भी वहा पर मिट्टी का घर बनाएंगे...मेरी हरकत तुम्हे बचकानी जरूर लगेगी उसवक्त..पर मैं भविष्य में तुम्हारे साथ रहने वाले मकान से ज्यादा आज के खिलौने वाले घर में जीना चाहती हू...!!

और हा वो कही झाग वाले गुब्बारों वाला मिल जाए ना...तो उससे वो खरीदकर ढेर सारे झगवाले गुब्बारे फूला देना ...ताकि जो चांद _तारे ऊपर आसमान में दिखते है...उन्हें मैं उन गुब्बारों में महसूस कर पाऊं..!!!!

वैसे तो मुझे समंदर का खारा पानी बिलकुल पसंद नहीं है पर तुमने अगर उस पानी की छींटे मुझपर उड़ाई तो मैं मना भी नहीं करूंगी... क्यों की तुम्हारी छुई हुई हर चीज मैं चाहूंगी मुझे छूकर गुजरे...!!!!

सुनो

लगता है अब शाम हो चली है
और समंदर किनारे की मिट्टी भी तुम्हारे कपड़ों पर अटक गई है...जरा संभलकर झटकना उस मिट्टी को _क्यों की शर्ट के बटन वाले एक हिस्से के पास तुम्हारा दिल है जहा मैं रहती हू....!!!!तो आराम से झटकना तुम उस दिल वाले हिस्से को...!!!

सुनो ना वो एक गाना भी चला देना चलते चलते

सागर किनारे दिल ये पुकारे
तू जो नहीं तो मेरा कोई नहीं है
सागर किनारे ...
जागे नज़ारे, जागी हवाएं
जब प्यार जागा,
जागी फ़िज़ाएं हो
पल भर को दिल की दुनिया
सोयी नहीं है
सागर किनारे ...

© A.subhash


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