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लघु कथा : खा़मोशियों का सच
कहते हैं हर चीज़ के दो पहलू हुआ करते हैं। दुःख है तभी तो सुख भी है। रात है तभी तो दिन का अस्तित्व है। उसी तरह, खा़मोशियाँ हैं तभी तो संवाद की क़ीमत है। खामोशी के कई पहलू हैं। किसी बोध भिक्षु के लिए खा़मोशी परम सत्य तक पहुँचने का रास्ता है। आम जन जीवन में ख़ामोशी को गुस्सा या नाराज़गी दिखाने के माध्यम के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। मेरे हमउम्र लोगों को अब शोर से ज़्यादा ख़ामोशी भाती है। कभी-कभी यूँ भी सोचती हूँ कि जब मानव सभ्यता इतनी विकसित नहीं थी तो वो खा़मोशियों का दौर कैसा रहा होगा?

अब जब कल्पना के पंखों पर सवार हो ही गई हूँ, तो आइए आपको लेकर चलती हूँ एक गाँव में, जिसका नाम है चुप्पीपुर। चुप्पीपुर में कोई बात नहीं करता, सब ख़ामोश रहा करते हैं। ज़रूरत पड़ने पर कुछ अजीबोगरीब हाव-भाव या इशारों के माध्यम से बात समझा दी जाती है।...