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रिया और उसकी पराई ( having a moral )
डेस्क , उपर , किताब के पन्ने , उल्टे हाय जा रहे हैं , मगर , जो पर्ने , वली हैं , उसका ध्यान किधर , हैं , वोह तोह , बहर , घुर रही हैं ।

" बहर , क्या घुर रही हो , पराई करो "

" अरे मा , मेन ऐक्ट्रेस बनूंगी ना , तोह पराई किसका ?"

छोटी सी रिया की मूह से , येह , बाते सुनकर , मा का दिल अक्षर तट , जता था । रिया , पास तोह करती थी , मगर अभी तोह वोह सिब क्लास 1 में , पर रही हैं , अभी से पराई , में इत्ना अरुचि रहेगा , तोह सिकेगी कैसे , ।

रिया एक , प्राइमरी स्कूल में जती थी , लेकिन वोह स्कूल , बरए लोगो के लिये हाय , बना था , बोल सकते हैं ।

उसस स्कूल में एक , रधुनी , थी जोह , खाना ओअका ती थी , स्वीपर अलग , था , क्लास रुम के लिये एक , और बाथरूम के लिये एक । इत्ना बरा स्कूल था वोह । वहा के जोह रधुनी थे , वोह teachers के लिये , खाना पकाते थे। बाछो को , घर से हाय खाना , लाना पर्त था ।

जो भी , हो , रिया और , रधुनी , के अनदर , बोहोत अची जमती थी , रिया टिफिन के समय , उसके साथ ही , बथे बथे , बाते करती और खाती थी । रधुनी , को भी अच लगता , यूएस चोटी की बरी बरी बाते ।

एक दिन रधुनी , बोहोत रो रही थी , यूएस समाय , रिया जाकर पौचिब, और बोली - " अरे आप , रो कियू रही , "

" क्या बतौ , तुम्हे , बिटिया , मेर मैन बोहोत खरप हैं "

" फिकर , मत किजीये , में हू ना । क्या हिया हैं बोलिए मौसी " ।

हा , रिया , उन्हे मौसी बोलती थी ।

" मेरा , तवियत , बोहोत खरप हैं , लेकिन , फिर भी , मुझे अज , अन्ना पारा , अगर , तब तुम्हारे , उम्र में , अच्छे से , पर्त , तोह अज , और येह , दिन देखना ना पर्त । "

येह सुन्ने , के , बद् , रिया और कुच ना , बोल सका। वोह , हल्दी वहा से , क्लास रुम , में चला अया। और किसि से बैट ना की ।

घर में अकर , वोह जल्दी जल्दी , मूह , हत धोकर , सब कुच निपटाकर , पर्ने बेठ गयी ।

मा , ने जब , यूज़ परते हुये देखा , तोह मा का भी , दिल खुसी , से भर गया ।


moral - Agar tum , parayi se attach rahoge , toh parayi bhi tumse attach rahega .....
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