...

21 views

मथुरा नगरी
मथुरा ।
प्रेम की नगरी , मंदिरों का शहर और मेरे यशोदा नंदन की जन्मस्थली , अध्यात्म का एक अनूठा , संगम ।
यमुना का घाट ,बंशी वट और आनेको ,मन को मुग्ध कर देने वाली सुंदरता से परिपूर्ण कान्हा की लीलाओं का सहज वर्णन है ये मथुरा ।
इसके निकट अति सोभायमान वृंदावन , जहा श्री , ओर राधा रानी ने रास रचाया ।
वो स्थान है जहा जो कोई आ जाए तो , मन न की जाने का ।
श्री राधमधाव मेरे युगल किशोर , अनेक लीलाओं यहां किए और फिर , द्वरका चले गए ।
हर कोई दीवाना था मेरे श्याम का , वो सुंदर तेज,वाला ललाट , कटीली आंखे और लंबी भुजाओं वाले , श्याम जहा से निकलते सबके मन मोह लेने वाले अवर्णीय देह से सुशोभित थे ।
मथुरा , जहा प्रीतिदीन भोर और संध्या में चाहूं ओर , ढोलक , ताल, मंजीरा, शंख ,गढ़ावर की ध्वनि से गूंजता हुआ , यही संदेश देता है की प्रेम ही जीवन की आधारभूत इकाई है ।

© Sarthak writings