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पढ़ाकू बालक
यह बात कई वर्ष पहले की है एक छोटा सा लड़का था उसका नाम नरेंद्र था वह इतना गरीब था कि वह अपने और अपने परिवार का पेट चाय बेचकर भरता था
उसके पढ़ने लिखने का दिन था लेकिन उसके हाथ में पेन की जगह कितनी था वह सोचा कि हम भी पड़ेंगे वह भी अपना ध्यान खिला एक स्कूल में कराया वह सुबह पढ़ने जाता था और जाने से पहले वह चाय बनाकर जाता था और उसके पिताजी बेचते थे जब वह घर आता था तब हुआ रात तक चाय बेचकर पैसे इकट्ठा करता था रात भर पढ़ाई करता था वह स्कूल में सबसे तेज लड़का था उसके मेहनत पर उसके माता-पिता उससे बहुत खुश थे वह नरेंद्र पर गर्व करते थे वह जब कक्षा 10 में पढ़ता था तब वह चाहत रहता था वह एक धनवान आदमी रहता था उसका कोई बेटा नहीं था उस आदमी का सपना था कि उसका बेटा पढ़ लिख कर एक महान व्यक्ति बनेगा और देश का सेवा करेगा तब उसने नरेंद्र के बारे में सुना व धनी व्यक्ति ने उसे पढ़ाने के लिए विदेश ले गया जब नरेंद्र का रिजल्ट आया तब पूरे कॉलेज में टॉप किया था जब यह बात उसके माता-पिता को मिले तो उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा फिर वह लड़का बड़ा होकर एक अच्छा आदमी बना