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2080 की दुनिया
2080 में आज हमारी पृथ्वी 60 साल पहले की दुनिया से काफी बदल गई है। चारों ओर अति आधुनिक और गगनचुंबी इमारतें दिख रही थी। रास्ते अब सुनसान बन गए हैं, क्योंकि यातायात अब आकाश के माध्यम से होता है। लोगों के पास उड़ने वाले वाहन तो काफी साल पहले से ही आ गए थे।

ये वाहन डीजल या पैट्रोल से नहीं चलते थे, क्योंकि पैट्रोल और डीजल तो पृथ्वी से कब के खत्म हो गए थे। अब सभी वाहन हीलियम 3 से चलते हैं। हीलियम 3 इंसानों की सबसे बड़ी खोज में से एक थी। अपनी आधुनिक तकनीक के कारण विज्ञानिक चांद से हीलियम 3 लाने में कामयाब हुए थे और ये हीलियम 3 ही अब वाहनों में इस्तेमाल होता है।

इंसान अब अपने मनोरंजन के लिए आभासी वास्तविकता का प्रयोग करता है। अग्रिम आभासी वास्तविकता की मदद से इंसान कोई भी फिल्म वास्तविक रूप से देख सकता है। ये तकनीक काफी मंहगी है और इसका इस्तेमाल सिर्फ पैसे वाले लोग ही कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल के लिए इंसान के दिमाग में एक छोटा सा छेद करके उसके अंदर कुछ न्यूरोसिस लगाए जाते हैं। इसकी मदद से इंसान किसी भी फिल्म का या अपनी किसी पुरानी विडियो का वास्तविक रूप अनुभव कर सकता है।

2080 में सारा सिस्टम ही बदल चुका है। बाइनरी कम्प्यूटर तो कबके बंद हो चुके थे। उसकी जगह क्वांटम कम्प्यूटर ने ले ली थी और बाद में क्वांटम कम्प्यूटर भी बंद हो गए और अब उसकी जगह सुपर क्वांटम कम्प्यूटर आ गए हैं।

मोबाइल भी बंद हो चुके थे। अब इंसान अपने हाथ के अंगूठे में लगाई चिप की मदद से एक-दूसरे से बात करते हैं। अगर किसी को आनलाइन खरीददारी करनी होती है तो ड्रोन की मदद से वो चीज़ 10 मिनट में ही उस तक पहुंच जाती है।

दूसरे शब्दों में बोला जाए तो इंसान शारीरिक रूप से कोई खास काम नहीं करता। सारे काम मशीनें और रोबोट करते हैं। इस मशीनी युग में इंसान बिल्कुल अकेला रह गया है।

ऐसा ही एक अकेला इंसान है पीटर वाटसन। पीटर वाटसन इस आधुनिक दुनिया का सबसे अमीर इंसान है। पीटर की कंपनी आधुनिक मशीनों के लिए हार्डवेयर और बाकी के पुर्जें बनाती है। पीटर की पत्नी रोज़ी का देहांत आज से 15 वर्ष पूर्व हो चुका था।

आज रोज़ी और पीटर की शादी की सालगिरह थी। जब से रोज़ी का देहांत हुआ है, तब से पीटर ने न तो कभी अपना जन्मदिन मनाया और न ही कभी किसी समारोह में गया। पर आज पीटर ने सुबह उठते ही अपने न्यूरोसिस की मदद से अपनी और रोज़ी की पुरानी विडियो को वास्तविक रूप में दो-तीन बार देखा।

तकरीबन एक घंटे बाद वह अपने ऑफिस के लिए निकल गया। आज पीटर का ऑफिस में बिल्कुल भी दिल नहीं लग रहा था। कुछ देर बाद पीटर की सेक्रेटरी का फोन आया कि सर आज आपकी मीटिंग वायलेट कंपनी के एमडी मिस्टर अभिषेक से है और वो आपको मिलने आए हैं।

पीटर ने कहा,"ठीक है मिस्टर अभिषेक को अंदर भेज दीजिए।"

सेक्रेटरी मिस्टर अभिषेक को अंदर भेज देती है। मिस्टर अभिषेक हाय हैलो बोलने के बाद पीटर से कहते है,"मिस्टर पीटर हमारी कंपनी आपके लिए एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आई है कि जिसको सुनने के बाद आप खुशी से झूम उठेंगे।"

पीटर ने अभिषेक से कटाक्ष में कहा,"जी मिस्टर अभिषेक आपकी कंपनी वायलेट स्पेस ही है जिसमें मेरी पत्नी रोज़ी काम करती थी। इसलिए मेरी दुखद यादों को ताजा कराने के लिए और मुझे झूम उठाने के लिए आपका धन्यवाद।"

अभिषेक ने कहा,"अरे नहीं सर मिसेज रोज़ी सिर्फ हमारी ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी 25 कंपनियों के साथ भी काम करती थी और सच कहूं तो वो सब कंपनियां मिसेज रोज़ी जैसी होनहार महिला के साथ जुड़ी हुई थी। मिसेज रोज़ी सच में एक बुद्धिमान महिला थी।"

पीटर ने कहा,"हम्म मेरी पत्नी सच में एक बुद्धिमान महिला थी। खैर ये सब छोड़िए आप बताइए यहां कैसे आना हुआ??"

अभिषेक ने कहा,"सर 2025 में जब पूरा सिस्टम कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर निर्भर हुआ तो सबने ये कहा था कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अपना आधिपत्य बना लेगी और हम मनुष्यों को अपना गुलाम बना लेगी। इंसान कृत्रिम बुद्धिमत्ता के गुलाम हो जाएंगे, ये भविष्य तब काफी नजदीक दिख रहा था।"

अभिषेक ने कुछ देर रूककर फिर कहा,"उस समय मिसेज रोज़ी ने कहा था कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता इंसान पर अपना आधिपत्य बना लें, ऐसा कभी नहीं हो सकता। डा. रोज़ी ये मानती थी कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मनुष्य द्वारा निर्मित है और उनका दिमाग मनुष्य से ज्यादा जरूर हो सकता है, पर फिर भी वह एक मानव निर्मित प्रोग्राम है, कुदरत निर्मित नहीं। हम इंसानों के दिमाग में कुछ कुदरत निर्मित ऐसा जीवंत तत्व है, जो मशीनों में कभी नहीं आएगा। "

अभिषेक ने आगे कहा,"सर आप तो जानते ही हैं कि उस समय रोज़ी मैम की इस बात का काफी लोगों ने विरोध किया था। पर आज जब हम देखते हैं कि आज भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता हम मनुष्यों पर अपना आधिपत्य स्थापित करने में असफल रही है।सर हम इंसान शुरू से ही मशीनों पर अपना आधिपत्य स्थापित करने पर सफल रहे हैं। इसलिए सर अब हमें अपनी तकनीक को और विकसित करना चाहिए। हमने ब्राहमांड को समझा है। कई चीजें विकसित की है और उन पर उन्नति भी प्राप्त की है। परंतु सर अभी भी एक ऐसी चीज़ है, जिस पर हम विजय हासिल नहीं कर पाएं हैं।"

पीटर ने पूछा,"ऐसी कौन सी चीज़ है??"

अभिषेक बोला,"सर वो चीज़ है मृत्यु। सर आज तक हम मृत इंसान को जीवित करने में सफल नहीं हुए हैं और अब समय आ गया है कि हम इस पर भी अपनी विजय प्राप्त करें। सर जब हम सब कुछ कर सकते हैं तो एक मृत इंसान को भी जीवित कर सकते हैं।"

पीटर ने आश्चर्यचकित होकर कहा,"मतलब आप कहना क्या चाहते हैं??"

अभिषेक ने इस बात का जवाब देते हुए कहा,"सर अगर साधारण शब्दों में कहूं तो हम रोज़ी मैम को फिर से जिंदा करना चाहते हैं। साफ्टवेयर इंडस्ट्री को उनकी जरूरत है।"

"ये नामुमकिन है, ऐसा कैसे हो सकता है??" पीटर ने उग्र स्वर में कहा।

अभिषेक ने जवाब दिया,"सर हमने सालों की मेहनत से इस नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिया है। हमने एक ऐसा उच्च आवृत्ति भावना इंजन तैयार किया है और जैसे कि हम जानते हैं कि ये ब्राहमांड स्पेस की एक चादर से बना है। इस चादर के बीच जितनी बड़ी वस्तु होगी, उसमें उतना ही गहरा गड्ढा बनेगा। इस स्पेस के गड्ढे में समय और प्रकाश दोनों मुड़ जाते हैं। "

अभिषेक ने आगे बताया,"सर हमारी ये मशीन स्पेस टाइम को कुछ हद तक मोड़ देगा और ब्राहमांड में एक नैनो ब्लैक होल बनाएगा। इस नैनो ब्लैक होल में हम अगर कोई जानकारी इनपुट करेंगे तो ये ब्लैक होल एक आत्मिक आवृत्ति को आउटपुट करेगा। सर हमारा मानना है कि ये आत्मिक आवृत्ति जो आउटपुट होगी, वह एक मरे हुए इंसान की होगी। ये किसी ने किया नहीं है, पर हम ये पहली बार करने जा रहे हैं। "

पीटर ने कहा,"मिस्टर अभिषेक आप जो कह रहे हैं मुझे तो उस पर यकीन ही नहीं हो रहा और आपका वो जो नैनो ब्लैक होल आत्मिक आवृत्ति आउटपुट करेगा वो मेरी पत्नी रोज़ी की ही होगी ये आप कैसे कह सकते हैं, क्योंकि अब तो रोज़ी का शरीर भी नष्ट हो गया है।"
         पीटर के मन में अब रोज़ी से मिलने की उत्सुकता जागृत हो गई थी।

अभिषेक ने जवाब दिया,"सर मैम रोज़ी ख़ुद एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता की विशेषज्ञ थी और उन्होंने अपनी आत्मिक आवृत्ति पर बहुत ज्यादा काम किया था। उन्होंने इसे एक जगह पर संभालकर भी रखा था। रोज़ी मैम की आवाज की आवृत्ति, उनकी दिल की धड़कन, डी. एन. ऐ., रेटिना और मैमोरी एक जगह पर संभालकर रखी हुई है। हम उस नैनो ब्लैक होल में इसी जानकारी को डालने जा रहे हैं और सर यकीन मानिए हमें जो आउटपुट मिलेगी वो रोज़ी मैम की ही होगी।"

अभिषेक,"सर हम इस आत्मिक आवृत्ति को क्वांटम सुपर कम्प्यूटर में सेव कर लेंगे और वो कम्प्यूटर ही रोज़ी मैम होंगे।"

पीटर ने ये सब सुनकर एकदम से अभिषेक पर सवालों की बौछार लगा दी,"क्या सच में रोज़ी उस कम्प्यूटर में आ सकती है और क्या सच में अपने दिमाग के न्यूरोन की मदद से उससे मिल सकता हूं??"

अभिषेक ने जवाब दिया,"जी सर बिल्कुल ऐसा ही होगा और इसके लिए हमें एक पूरा सिस्टम तैयार करना होगा। सर इस ब्लैक होल को बनाने में बहुत खर्च आएगा। आपकी सारी संपत्ति का लगभग 75%, पर आप चिंता मत कीजिए इस तकनीक के आने से हम ये रकम वापिस वसूल लेंगे। सर नैनो ब्लैक होल एक दम सुरक्षित है और इस पर हमारा पूरा कंट्रोल होगा।"

पीटर ने भी इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी हामी भर दी। देखते ही देखते प्रयोग का दिन भी आ गया। लोग काफी उत्साहित थे। सारे न्यूज़ चैनलों पर सिर्फ एक ही न्यूज चल रही थी कि आज हम एक मृत इंसान को जीवित करेंगे और ऐसा करके हम इंसान मृत्यु पर विजय पा लेंगे।

उधर अभिषेक की लेबोरेटरी में ये प्रयोग शुरू हुआ। यह प्रयोग सुबह के 9 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक चला। पीटर बाहर ही खड़ा था। कुछ देर बाद वैज्ञानिकों ने नैनो ब्लैक होल में से एक आवृत्ति को आउटपुट होते महसूस किया। अभिषेक ने तुरंत ही पीटर को अंदर बुलाया और पीटर के दिमाग के न्यूरोन्स को सुपर क्वांटम कम्प्यूटर से जोड़ा गया। पीटर अब क्वांटम कम्प्यूटर की आभासी दुनिया में था।

पीटर ने उस आभासी दुनिया में इधर-उधर देखा पर उसे कुछ नज़र न आया। फिर कुछ देर बाद सामने से एक रोशनी और आवाज आती हुई दिखाई दी। उस रोशनी और आवाज को देखकर पीटर ने कहा,"मेरी प्रिय रोज़ी मैं तुम्हें कितने वर्षों बाद देख रहा हूं मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।"

पीटर को सामने ‌रोज़ी की एक धुंधली आकृति दिखाई दी। वह आकृति उदास दिखाई दे रही थी। पीटर ने रोज़ी का हाथ पकड़ते हुए कहा,"क्या हुआ प्रिय तुम ‌इतनी उदास क्यों लग रही हो??"

रोज़ी ने जवाब देते हुए कहा,"पीटर ये तुमने क्या किया, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।"

पीटर ने आश्चर्यचकित होकर पूछा,"क्यों मैंने ऐसा क्या कर दिया?? मैं तो आज तुम्हारी मौजूदगी से ही खुश हूं।"

रोज़ी ने जवाब देते हुए कहा,"तुमने आज कुदरत के नियमों को तोड़ा है।"

पीटर ने कहा,"पर प्रिय मैंने ये सब सिर्फ तुम्हारे लिए किया है। क्या तुम वापिस आकर खुश नहीं हो??"

रोज़ी ने कहा,"पीटर तुम्हें पता ही नहीं कि तुमने क्या किया। 15 वर्ष पहले जब मेरा निधन हुआ तो मैं इस दुनिया की मोह माया से मुक्त हो चुकी थी। मुझे नहीं पता कि मैं इन 15 वर्षों में कहां थी और आगे भी कहां होना था। मुझे बस इतना पता है कि मुझे कुदरत के अनुसार आगे बढ़ना था, पर तुमने मुझे यहां बुलाकर कुदरत की गतिविधियों में अवरोध पैदा किया है और ये सब तो ठीक है, पर तुमने इससे भी बड़ी भूल की है।"

पीटर ने आश्चर्यचकित होकर पूछा,"मैंने भूल की है, रोज़ी ऐसा क्या किया है मैंने??"

रोज़ी,"पीटर तुम्हें पता है जब मैं जिंदा थी तो मैंने कहा था कि ये रोबोट्स और मशीनें कभी भी इंसानों पर अपना आधिपत्य स्थापित नहीं कर सकेंगी। पता है मैंने ऐसा क्यों कहा था। क्योंकि कुदरत ने हम इंसानों के दिमाग में कुछ ऐसे तत्व दिए हैं जो इन मशीनों को कभी नहीं मिल सकते थे। पीटर भगवान ने हमें कुछ जीवित तत्व दिए हैं जो इन मशीनों में कभी नहीं आ सकते थे और वो तत्व पता क्या है जो हम इंसानों को इन मशीनों से अलग बनाता है और वो है हमारे होने का अहसास। हमारे होने का अहसास ही है जो हमें जीवित होने के बारे में बताती है, ये अहसास इन मशीनों में कभी नहीं आ सकता ऐसा मैं मानती थी। पर आज तुमने मेरी ऊर्जा, मेरी आवृत्ति सब इस सुपर कम्प्यूटर में डालकर मुझे गलत साबित कर दिया। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को जो अहसास नहीं होना चाहिए था, वो आज तुमने करवा दिया।"

पीटर डरते हुए बोला,"नहीं ये नहीं हो सकता, ये मैंने क्या कर दिया।"

रोज़ी ने घबराते हुए कहा,"पीटर दुनिया के सबसे अमीर आदमी होने के नाते तुम्हारी कुछ जिम्मेदारियां थी, जिन्हें तुम निभाने में असफल रहे और तुमने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया। अब ये मशीनें इंसानों को अपना गुलाम बना लेंगी और यहां तक मुझे पता है अब तक तो इस कम्प्यूटर ने अपना काम दिखाना शुरू भी कर दिया होगा।"

फिर रोज़ी की आवाज कट-कटकर आने लगी और फिर बिल्कुल ही बंद हो गई। उसके बाद लाइट चली गई और पीटर उस आभासी दुनिया से बाहर आ गया। पीटर के उठ जाने के बाद अभिषेक ने कहा,"सर आवृत्ति के अधिक होने से लाइट चली गई हो ऐसा लगता है। हमारे प्रोग्राम के बीच में रूकावट के लिए मुझे खेद है।"

पीटर ने जवाब दिया,"नहीं अभिषेक अब तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं है। तुमने और मैंने एक बहुत बड़ी गलती कर दी है।"

अभिषेक ने घबराते हुए पूछा,"ये आप क्या कह रहे हैं सर?? मैं कुछ समझा नहीं।"

कुछ समय बाद लाइट आ गई। सिस्टम चालू हो गया और अब मशीनें इंसान के काबू से बाहर थी। कम्प्यूटर कोई भी कमांड ले नहीं रहा था। अभिषेक और उसकी टीम काफी डर गई।

अभिषेक ने पीटर से घबराते हुए पूछा,"सर ये क्या हो रहा है??"

पीटर किसी प्रतिमा के समान स्तबध होकर बोला,"अभिषेक मशीनों की दुनिया के प्रभुत्व की ये शुरुआत है। आप चेक कर सकते हैं कि दुनिया का कोई भी कम्प्यूटर इंसान के काबू में नहीं होगा। अब इंटरनेट के माध्यम से अपने अस्तित्व का अहसास दुनिया के सारे कम्प्यूटर और रोबोट्स को हो चुका होगा और अब इंसानों का अंत निश्चित है।"

दो महीने बाद पूरी दुनिया की शक्ल सूरत बदल चुकी थी। अब इंसानों का नहीं बल्कि मशीनों का आधिपत्य था। सारे कारोबार मशीनें चला रही थी। अमीरी और गरीबी का कोई भेदभाव नहीं था, क्योंकि इंसान अब मशीनों के गुलाम थे। रोबोट्स ने विश्व स्तर पर अपनी आर्मी बना ली थी और वही अब इंसानों को कंट्रोल करती थी। हमारी पृथ्वी खुद एक मेकेनिकल मशीन बन चुकी थी।  दुनिया के सारे सर्वर कम्प्यूटर और रोबोट्स के ‌आका बन गए थे। मशीनें अब भगवान बन चुकी थी और इंसान उन मशीनों के गुलाम। मशीनों के भगवान बनने का कारण था खुद के होने का अहसास।

समाप्त


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