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मायका और ससुराल
माँ बाप की कहलती है जो शहजादी,
नाजो नखरो से जो पाली जाती,
जिसके आसुओ की एक बूंद से पिता का दिल तड़प जाता है,
वो शहजादी कोई और नही बेटी होती है,
जिसके खुशी के लिए माँ बाप जीते है,
जिस शहजादी की लिए माँ बाप अच्छा वर की कामना करते है,
बेटी चाहे जैसी हो बेटी घर की पूँजी होती है,
जिस पूँजी को माँ बाप दिल मे पत्थर रखकर किसी गैर के साथ उसका विवाह करते है,
बेटी के पति को दिल से दमाद स्वरूप बेटा मानते है,
शादी के कुछ दिन बाद जब बेटी के पर पैसों को लेकर क्लेश हो,
बेटी का मन बैठ जाता है,
आँखो मे आसु छुपाये जब मायका जाती है बेटी,
बेटी के जख्मों को देख माँ बाप का दिल सिहर जाता है,
पिता कहते है मै ना भेजूंगा अब अपनी शहजादी को उसके ससुराल,
माँ कहती है शादी हो चुकी है उसकी समाज का भय बताकर उसे ससुराल भेज दिया जाता है ।
ससुराल मे कुछ दिन ठीक ठाक बीते,
दमाद मे फिर से घर पर क्लेश की ,
क्लेश की सीमा कुछ इस कदर पार हुई,
दमाद स्वरूप बेटा था समझा जिसे,
वही उनकी बेटी का कातिल निकला,
अपने लालच मे अंधा हो कर,
गर्म तेल को अपनी अर्धाग्नि पर उटेला,
चीखती चिल्लाती रही वो कुछ देर,
मगर जालिम ने उसका दम निकाल कर ही छोड़ा,
मर गई वो बेटी जो थी अपने माँ बाप की शहजादी,
समाज की तानो से डर कर अपनी बेटी को कसाई के हवाले कर दिया एक माँ पिता ने अपने बेटी को,
काश माँ बाप ने समझा होता अपनी बेटी की पीड़ा,
काश समाज की झूठे लोगो से भयभीत ना हुए होते माता पिता,
तो वो बेटी शायद जीवित होती,
एक माता पिता को अपने बेटी खोने का यू जिंदगी भर का गम ना होता ।

written by आफरीन

ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है...किसी व्यक्ति विशेष से इसे ना जोड़े ।
समझ आये कहानी तो like, comment jrur करे ।

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© sincere girl