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सहानुभूति या कुछ और !
सृष्टि ने मैसेज टोन सुनी तो ,उसने फोन उठाया ।तो अनलोन नंबर से एक मैसेज आया था ।उसमें सामान्य सुप्रभात का मैसेज था ।सृष्टि ने खोला मैसेज और सोचने लगी यह नंबर किसका है ।फिर उसने डीपी देखी तो वह भावना के हस्बैंड को पहचान गयी ।भावना और सृष्टि का परिवार आस-पास के गांव से तालुकात रखता था। उनके गांव अगल-बगल ही थे। इसलिए रिश्ते में वह देवरानी जेठानी लगते थे ।जब सृष्टि ने भावना के हस्बैंड का मैसेज देखा तो उसको कुछ अटपटा नहीं लगा ।क्योंकि वह दोनों परिवार काफी घु्लेमिले थे ।एक दूसरे के घर आना जाना साथ में खाना ,खाना कोई भी फंक्शन हो साथ में मनाना ,इसलिए उसने भी उनको नमस्कार करके रिस्पांस कर दिया ।फिर भावना के हस्बैंड का मैसेज आया कि कैसे हो आप घर में सब ठीक है बच्चे ठीक हैं ।वगैरा-वगैरा सृष्टि ने भी रिप्लाई किया की हां जी भाई जी सब ठीक है । और भावना के हस्बैंड ने सृष्टि को कहा भावना को न बताएं ,मैंने आपको मैसेज या कॉल किया ।क्योंकि औरतें शक करती हैं। सृष्टि ने कहा तो आप ऐसे काम क्यों कर रहे हो। जिससे उनको आप पर शक हो, वैसे भी मुझे आपका मुझे मैसेज और कॉल करना सही नहीं लग रहा है ।लेकिन उन्होंने कहा मैं तो बस हाल-चाल पूछ रहा था ।इस कारण सृष्टि कुछ और बोल नहीं पाई ।ऐसे ही भावना के हस्बैंड थोड़े बहुत मैसेज करने लग गए ।ऐसे ही एक हफ्ता बीत गया ,सृष्टि को लगा कि ऐसे ही हाल-चाल पूछते होंगे...