...

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रोंग नंबर और काली रात
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो...
ऐसे ही हुआ था !

वो हाथ में चिराग़ लिय मेरे पीछे ,मोमबत्ती को प्रकाश दान करते हुए ,,,,,
उसकी हाथ की चूड़ियां,और चलने से पैरो के पायल छम छम को आवाज करते ,
और उसकी आंखे तो सुरमो से सजी काली रात में और अंधेरा
करना चाह रही हो !
उसका काया तो पूरी तरह से मोमबत्ती की झीनी झीनी रोशनी से ,,,,,ऐसे प्रकाश कर कर रही थी की जैसे ,,,,वो अंधेरी रात में चांद का टुकड़ा अपनी जिन्दगी की शांशे के रहा हो !

युवती ~ ऐसे क्यू देख रहे हो ?
क्या कभी देखा नहीं है क्या ?
मैं कुछ बोलता उससे पहले ही ,,मोमबत्ती उड़ते परदे से लगी नीचे गिर कर ,,,,परदे में पकड़ ली और आग की पकड़ कब इतनी मजबूत हो गई ,,,,,,,बारिश भी बंद और ,,
बिजली की कड़कड़हट,,,से पूरा घर गूंज उठा ,,,,,,मैं उसे बचा पाता की युवती आग की लपेट में आ गई ,,,,चारो ओर आग मैने किसी तरह से ,,,, युवती की जान बचाई !
तब से मेरे मन में ,,,,,,,इस काली रात का खौफ समा गया !

© @खामोश अल्फाज़ ©A.k