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खुद का जीवन
देखो, जमाने की फिक्र करना लाजमी है लेकिन कुछ हद तक, इसके लिए हम अपनी खुशियों को नहीं खो सकते।हाँ ,कुछ मजबूरियाँ हो सकतीं हैं लेकिन हर बात को मजबूरियाँ पर थोपना सही नहीं है जब समय निकल जाता है ना, तो सबसे ज्यादा नफरत जमाने से ही होती है और इस नफरत की आग मैं सारी उम्र जलना पड़ता है। ये समय कीमती है आने बाले समय का पता नहीं कैसा हो।हम अक्सर ये सोचते हैं कि,आने बाला समय सही होगा और उस पल को खो देते हैं जो आपके साथ चल रहा है।हम अक्सर उस पल की तलाश मे रहते है जो हमने देखा ही नहीं क्योंकी हमको नहीं नहीं पता होता है कि, आने बाला पल हमेशा जाने बाले पल से अच्छा नहीं होता लेकिन फिर भी हम सोचते हैं। बल्कि हमें अपने बर्तमान पल को नहीं खोना चाहिए।इससे बेहतर पल हो ही नहीं सकता ये सच्चाई है।