ब्राम्हण के बारे में लोगो की सोच हृदय विदारक
सच्चाई उस पंडित जी की जो सबसे बड़ा लुटेरा है...
जेठ की चिलचिलाती धूप मैं डरते और हड़बड़ाते हुए साइकिल को तेज गति से चलाते पंडित जी घर से 5 किलोमीटर दूर गांव में कथा कराने जा रहे थे सत्यनारायण भगवान की पसीने में नहाए हुए थे और गला सूख रहा था परंतु चिंता थी कि यजमान के यहां पहुंचने में देरी हो जाएगी दोपहर के 1:00 बज गए थे पंडित जी साइकल से उतरे और यजमान के घर के सामने खड़े हुए यजमान बड़े ही क्रोध में आंखें लाल करके ..आ गए पंडित इसी तरह से रहा तो तुम्हारी पंडिताई ज्यादा दिन नहीं चलेगी. ऐसे तंज कसते हुए चलिए पूजा कराइए बहुत देर हो गई और उस समय वह पंडित यह भी ना कह सके कि मैं प्यासा हूं और यजमान को यह दिखाई भी ना दिया ..पूजा शुरू हुई पूजा संपूर्ण होने के बाद लगभग ₹50 चढ़ावे के और 151₹ रुपए पंडित जी को दे दिया...
जेठ की चिलचिलाती धूप मैं डरते और हड़बड़ाते हुए साइकिल को तेज गति से चलाते पंडित जी घर से 5 किलोमीटर दूर गांव में कथा कराने जा रहे थे सत्यनारायण भगवान की पसीने में नहाए हुए थे और गला सूख रहा था परंतु चिंता थी कि यजमान के यहां पहुंचने में देरी हो जाएगी दोपहर के 1:00 बज गए थे पंडित जी साइकल से उतरे और यजमान के घर के सामने खड़े हुए यजमान बड़े ही क्रोध में आंखें लाल करके ..आ गए पंडित इसी तरह से रहा तो तुम्हारी पंडिताई ज्यादा दिन नहीं चलेगी. ऐसे तंज कसते हुए चलिए पूजा कराइए बहुत देर हो गई और उस समय वह पंडित यह भी ना कह सके कि मैं प्यासा हूं और यजमान को यह दिखाई भी ना दिया ..पूजा शुरू हुई पूजा संपूर्ण होने के बाद लगभग ₹50 चढ़ावे के और 151₹ रुपए पंडित जी को दे दिया...