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करिश्मा
करिश्में होते हैं ये उन्ही को पता होता है जिसने करिश्में को महसूस किया होता है।
मन के भावों में व आपकी तीव्र इच्छा करिश्मा
होने देती है।
क्या आपको पता है जैसा आप अपने प्रति सोचते हैं या अपने लिए चाहते हैं वैसा ही होता है। आपकी बातें क़ायनात सुन रही होती है फिर आपकी बातों के आधार के अनुरुप ही कार्य कर रही होती है। जो हम सोचते हैं वैसा ही होता है।
तब हम खुद हैरान हो जाते हैं जब हमारा सोचा हमारे सामने आता है।तब हम उसे ईश्वर का करिश्मा मानते हैं।
ऐसा ही हुआ रीमा के साथ रीमा एक अपनी सहेलियों के साथ मॉल गई।वहाँ उसकी सभी सहेलियाँ अपनी अपनी पसन्द का समान देख रही थीं।रीमा की सभी सहेलियां अध्यापिका थीं
वो खुद भी एक अध्यापिका थी।
उसकी सभी सहेलियाँ अच्छे घरों से थीं इसलिए
वो महँगे महँगे पर्स लाती थीं।
रीमा का भी मन करता था अच्छे सुन्दर पर्स खरीदने का लेकिन उसके ऊपर उसके घर की
भी जिम्मेदारी थी इसलिए वो अपने शौक को
पीछे ही रखती थी।
आज रीमा को एक पीले रँग का पर्स पसन्द आ
गया।लेकिन उसने जब दाम देखा तो हक्की बक्खी रह गई।
वो पर्स पाँच हज़ार का था।रीमा की सहेलियाँ उससे पूछने लगीं तुमने भी कुछ खरीदा है तो
बिल काउन्टर पे चलें।
रीमा ने कहा हाँ मैंने अपनी छोटी बहन के लिए
चॉकलेट खरीदी है। चलो बिल करा लेते हैं।
रीमा बिल करा कर जब घर पहुँची उसके दिमाग़
में वो ही पर्स घूम रहा था।
मॉल उसके घर से अधिक दूरी पे नहीं था।
लेकिन पाँच हज़ार वो कहाँ से लाए।
यही सोचकर चुप रह जाती इतने पैसों में तो
हमारे घर का कोई जरूरी सामान आ जाएगा।
इस बात को कई दिन हो गए आज उसका पर्स
फटने की कगार पे था तो उसे मॉल में देखे उसी पर्स की याद आ गई।मन ही मन सोचने लगी अब तो वो पर्स बिक गया होगा।नहीं भी बिका हो तो क्या कौन सा वो खरीद लेगी।
अब तो ये हालत हो गई थी विद्यालय में उसकी
सहेलियाँ कहने लगीं अब और कितने दिन इस
पर्स को चलाएगी।
रीमा आज जब घर आई तब माँ ने कहा बेटा घर
पे सब्जी व दूध भी नहीं है।
रीमा सब्जी दूध पता नहीं क्या सोचकर मॉल चली गई।आज उसे और दिनों की अपेक्षा कम दामों में सब्जी मिली दूध के रेट भी कम कर दिए थे।रीमा के काफी पैसे बच गए।
आज मॉल में सेल में कुछ समान आधे से भी कम दामों में रखे थे।रीमा उन्ही समानों में से
अपने घर के लिए कुछ समान चुनने लगी।
तभी उसकी निगाह उस पर्स पे गई उसके चेहरे
पे एक खुशी की झलक थी दाम देखने पे पता
चला पन्द्रह सौ का था।
उसने झट उठा लिया।जब बिल कराया तो काऊन्टर पे बैठा शख्स पूछने लगा।
मैम आपके पिछले पॉइंट्स भी हैं इसी में कम कर दूँ।रीमा ने जब बिल देखा तो पाया पाँच रुपयेऔर डिस्काउंट हो गए थे।
रीमा को अब वो पर्स सिर्फ हज़ार रुपये का पड़ा। दूसरे दिन विद्यालय में अन्य अध्यापिकाएँ
उसके पर्स की तारीफ़ कर रहीं थीं।
एक तो कहने लगी ये पर्स हमने मॉल में देखा था। पाँच हजार का था।
रीमा सिर्फ मुस्कुरा रही थी।ऊपर वाले के करिश्में को धन्यवाद कह रही थी।
© Manju Pandey Choubey