...

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राम नवमी
एक दिन राजा ने वचन ऐसा दे दिया,
मांगा पुत्र को राज वनवास उनकों दे दिया ।
चीख पड़ी दीवारें पुरे आयोध्या धाम की,
थी निभानें की खुशी मुख पर श्री राम की ।
पिता की आज्ञा मान राम वन को जा रहें,
सीता माता साथ चली लक्ष्मण पीछे आ रहें ।

कानन में विचरती देखी राज रानी है,
राजसी ये कंद मूल पर्णकूटी तानी है ।
रात एक जागें कोई चौदह वर्ष कैसे जगाएगा,
भाई ऐसा लक्ष्मण सा अब न कोई पाऐगा ।
कर्म के प्रकाशित मार्ग पर धर्म तापते रहें,
दीप जला कर उर्मिला राह ताकते रहें ।

जब कोदंड उठा सागर से रास्ता मांगा गया,
छोटे बड़े पत्थरों से राम सेतु बांधा गया ।
राम लिखे हो जिस पत्थर पर, वो पत्थर भी तैर गए,
वो फिर क्या डूबेगा जिनके मस्तक उन पैर गए ।

पुण्य, प्रताप, मर्यादा सिर्फ नहीं अकेले राम की,
आग में सभी जले है न राम एक नाम की ।
अग्नि को न देना होता न प्रमाण जग मांगती,
राम को है राम बनाया माता सीता जानकी

सिर्फ़ राम नाम राम नहीं है,
सीता के बगैर राम अधूरे हैं ।
(सीता-राम)
© Chiragg