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BACHPAN KA VADA
CHAPTER 13

शेखर मानवी को गिल्ट कराते हुए बोलता अच्छा पहले तुम जी भर के भला बुरा बोल दो और फिर आकर सॉरी बोल दो ये कहा का इंसाफ है । मानवी बोलती मुझे पता है मैंने तुम्हे बहुत कुछ सुनाया है लेकिन इतने देर से माफी भी तो मांग रही हू। लेकिन तुम तो जिद्द में ही चढ़े हुए हो। यह नही की माफ करदे।शेखर बोलता है ऐसे कोन माफी मांगता है तुम माफी नहीं गुस्सा कर रही हो । तो मानवी बोलती है मैं अब तुमसे माफी मांगने के लिए क्या करना पड़ेगा । तो शेखर बोलता है सोच लो मैं जो बोलुगा वही तुम्हे करना होगा। मानवी मन में बोलती है ये मैंने क्या बोल दिया लगता है मैने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार दी ।मानवी शेखर से बोलता है ऐसा वैसा कुछ मत बोलना जो मुझे हो पाएगा वहीं मैं करूंगी। शेखर बोलता है टेंशन मत लो जो तुमसे हो पाएगा वही में करने को कहुगा।मानवी बोलते हैं अब बोलो भी क्या करना है। तो शेखर बोलता है सही टाइम आने पर बताऊंगा अब चलो असाइनमेंट बनाने। फिर शेखर वहां से जाने लगता है और मानवी मन में सोचती है पता नहीं यह मुझे क्या कराएगा ।तभी शेखर पीछे मुड़कर देखता है की मानवी वहां खड़ी होकर कुछ सोच रही है। तो शेखर उसे आवाज देकर बोलता है अब चलो भी क्या खड़े-खड़े सोच रही हो मानवी होश में आते हुए बोलते हैं आ रही हूं फिर वह शेखर के पीछे चलने लगती है।फिर दोनों साथ में बैठकर असाइनमेंट बनने लगते हैं मानवी बोलती है अब कल बनाया जाएगा ।आधा तो कंप्लीट हो ही गया है। शेखर बोलता है फाइनली असाइनमेंट आधा तो कंप्लीट हुआ ।मानवी अपना समान समेट ते हुए बोलती है अब चलती हूं कल मिलेंगे । तो शेखर बोलता है इतना देर हो चुका है मैं तुम्हें घर तक लिफ्ट दे दू क्योंकि आज मैं अपने कार से आया हूं ।शेखर मन में सोचता है इसी बहाने में निशा को भी घर छोड़ दूंगा ।मानवी मन में सोचती है अगर इसे नहीं बोल दिया तो इसको दोबारा बुरा लग जाएगा ।वैसे भी आज मैं बहुत कुछ सुनाया भी है। मानवी बोलती है ओके मैं अभी निशा को कॉल करके बताती हूं कि आज हम लोग तुम्हारे साथ जाएंगे। शेखर बोलता ओके मानवी निशा के पास कॉल लगाती है और उधर निशा अपने दोस्त के साथ जरूरी काम से कॉलेज से पहले निकाल लेती है ।निशा कॉल उठाते हुए बोलती है सॉरी दी में आज अपने दोस्त साथ पहले ही निकल गई हूं मैं आज आपके साथ नहीं जा सकती। मानवी बोलती है तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ।अभी शेखर मुझे घर छोड़ने का बात ना करता तो मैं तो अकेली ही मुझे घर जाना पड़ता ।निशा बोलती है मैं कॉल किया था। लेकिन आपने उठाया ही नहीं ।मानवी अपना मोबाइल चेक करती है उसे निशा का 3 मिस कॉल आया था। मानवी बोलती है लगता है मेरा मोबाइल साइलेंट में था ।निशा बोलती हैं आप शेखर के साथ आ रही होना अच्छी बात है दी वैसे मैं फोन रखती हूं। मैं अभी बहुत बिजी हूं। मानवी कुछ बोलने जाती है उससे पहले निशा कॉल कट कर देती है। शेखर बोलता है क्या हुआ निशा ने क्या कहा मानवी बोलती है वह अपने दोस्तों के साथ पहले ही कॉलेज से निकल गई है ।यह सुनकर शेखर उदास हो जाता है ।मानवी बोलती है अब तुम्हें क्या हो गया तुम इतने उदास क्यों लग रहे हो। अगर तुम्हें छोड़ने का मन नहीं है तो कोई बात नहीं मैं अकेली चली जाऊंगी ।शेखर बोलता है ऐसी कोई बात नहीं है चलो अब देर हो जाएगी घर पहुंचने में ।फिर शेखर कार के अंदर चला जाता है और अपने बगल वाली सीट का दरवाजा खोलते हुए बोलता अब ज्यादा मत सोचो अब अंदर आ जाओ मानवी फिर कार के अंदर बैठ जाती है। जब शेखर देखता है मानवी ने सीट बेल्ट नहीं लगाया है ।तो उसके पास जाकर सीट बेल्ट लगने लगता है। शेखर जैसे ही मानवी के पास जाता है मानवी एकदम सॉक्ट होकर बोलती है यह क्या कर रहे हो तुम ।तो शेखर बोलता है सीट बेल्ट लगा रहा हूं और क्या ।तुम क्या सोच रही हो कि मैं क्या कर रहा हूं। फिर दोनों ऐसे ही एक दूसरे को देखते लगते हैं तब मानवी बोलती है कुछ नहीं सोच रही हूं तुम ज्यादा मत बोलो और मैं खुद से सीट बेल्ट लगा सकती हूं ।फिर सीट बेल्ट लगाते हुए बोलती है देखो मैं खुद ही लगा लिया। अब तुम गाड़ी चलाओ बातें मत बनाओ शेखर बोलता है गुस्सा मत करो। फिर ऐसे ही दोनो गाड़ी में चुपचाप बैठ बैठे हुए थे और गाड़ी अपनी रफ्तार में चल रही थी। तभी गाड़ी लाल सिग्नल में रुक जाती है ।तभी एक छोटी लड़की फूल बेचने आती है शेखर की खिड़की में दस्तक देती है शेखर कार की खिड़की खोलते हुए प्यार से बोलता है ।क्या हुआ तो बच्ची बोलती है क्या आप फुल खरीदोगे तो शेखर बोलता है मैं क्या करूंगा इन फूलों का तो बच्ची बोलती है आपकी गर्लफ्रेंड है ना ।तो शेखर बोलता है कौन गर्लफ्रेंड । बच्ची बोलती है वह जो इतनी सुंदर दीदी है उनको दे दीजिए ।शेखर मानवी बच्ची की बात सुनकर उन दोनों को ऑकवड महसूस होने लगता है। फिर शेखर बोलता है फुल छोड़ो मैं तुम्हें पैसे दे देता हूं । तो बच्ची बोलती है मैं अपने फूलों को बेच के ही पैसे लेती हूं अगर आपको नहीं लेना। तो आप मत लीजिए मगर मैं पैसे नहीं लूंगी। तभी मानवी बोलती मुझे सारे फूल लेना है कितने का है तो बच्चे खुश होते हुए बोलती है क्या आप सारे फूल लेंगे ।मानवी बोलती है हां सारे फूल अब जल्दी से बताओ कितने का हुआ। तो बच्ची बोलती है ₹200 मानवी पैसे देकर फुल लेती है। फिर बच्ची वहां से पैसे लेकर खुशी-खुशी चली जाती है ।शेखर बोलता है तुम क्या करोगी फूलों का मानवी बोलती है कुछ नहीं ।तो शेखर बोलता है जब कुछ नहीं करना तो ली क्यों ।तो मानवी बोलती है उस बच्ची की खुशी के लिए ।देखा नहीं तुम ने पैसे जब तुम दे भी रहे थे उसने नहीं लिया। क्योंकि वह अपने कमाई का ही पैसा लेती है।यह बात मेरे दिल को छू गया कि वह अभी इतनी छोटी लेकिन कितनी स्वाभिमानी कितने स्वाभिमानी है ।और तुमने देखा नहीं जब मैंने फूल खरीदा तो वह कितना खुश हुई। उसकी खुशी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। यह सब बात सुनकर शेखर मानवी को प्यार से देखने लगता है और बोलता है लगता है तुम सिर्फ मेरे लिए कठोर हो सबके लिए एकदम दयालु हो ।मानवी शेखर को ऐसे देखते और बोलते हुए उसे देखने लगती हैं ।तभी पीछे होरन की आवाज आती है तब दोनों होश में आते हैं। शेखर देखता है ग्रीन लाइट हो चुका है शेखर गाड़ी स्टार्ट करके चलाने लगता है ।फिर कुछ देर होने पर दोनों मानवी के घर पहुंच जाते हैं ।मानवी जैसे ही गाड़ी से उतरने लगते हैं तो शेखर बोलता है तुम अपनी फुल को यही भूली जा रही हो। मानवी बोलती है मैं भूली नहीं हूं यह तो मैं तुम्हारे लिए छोड़ जा रही हूं ।शेखर बोलता है मैं समझा नहीं। तो मानवी बोलत है तुम मुझे घर छोड़ने आए इसलिए यह मेरे तरफ से तुम्हारे लिए थैंक यू गिफ्ट ।शेखर बोलता है मुझे तुम्हारा गिफ्ट अच्छा लगा। मानवी जाते-जाते बोलने लगती है मैं किसी के लिए कठोर नही हु ।यह सुनकर शेखर मुस्कराने लगता है और गाड़ी स्टार्ट करके वहां से चला जाता है गाड़ी चलाते हुए मानवी के बारे में सोच कर मुस्कुराने लगता है ।और एकदम से ब्रेक लगाकर सोचता है ।यह मैं क्या सोच रहा हूं और अपने आप को समझाते हुए कहता है मैं आज बहुत काम किया है । मुझे जल्दी से एक अच्छी नींद लेने चाहिए। वरना मेरे दिमाग में यही कुछ चलेगा ।जल्दी से मुझे घर जाना चाहिए। फिर गाड़ी स्टार्ट करके अपने घर की और चलने लगता है। उधर मानवी घर के अंदर इंटर करती है कि उधर से उसकी मां बोलती है ।इतना देर कैसे हो गया निशा तो कब का घर पहुंच गई है ।मानवी बोलती है वह आज मुझे ज्यादा काम था और निशा कोलेज से पहले निकल गई थी इसलिए वह जल्दी घर आए होगी। उधर से उसके पापा आते हुए बोलते हैं क्यों इतना सवाल जवाब कर रही हो ।यह नहीं की बच्ची इतना लेट से आई है जल्दी से उसे खाना खिलाए। तो उसकी मां बोलती मुझे फिक्र हो रही थी। इसलिए मैंने पूछ लिया इतना भी एक मां का हक नहीं है।उसके पापा बोलते हैं अच्छा बाबा मुझे माफ कर दो ।चलो अब मानवी आ गई है अब चलो डिनर करते हैं ।फिर मानवी से बोलते हैं जाओ तुम मुंह कान धो लो और निशा को भी अपने साथ खाने के लिए ले आना ।मानवी बोलत है ठीक है पापा.....................

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© Mahiwriter