"अर्थ"
मैं अक्सर देखती हूं आजकल लोगों के लिए 'आई लव यू' कहना कितना आसान हो गया है। लड़का हो या लड़की, बहुत ही आसानी से किसी को भी पसंद कर लेते हैं, किसी की तरफ अट्रैक्ट हो जाते हैं और मन ही मन चाहने लगते हैं।
मुझे आज भी याद है, 4 साल पहले जब मैं स्टूडेंट थी। 'धरा' कैसे अंबर को आहें भर के देखा करती थी। छुट्टी में बस के सारे बच्चे ग्राउंड में खड़े होकर दोस्तों से बातें करते पर 'धरा' बस में बैठकर 'अंबर' को ढूंढ़ा करतीं, जब दिख जाता तो उसे नज़र भर देखती रहती।
कैसे खड़ा है, कैसे अपने बालों को अपनी उंगलियों से बार-बार सवांरता है, कैसे हंसता है, कैसे बोलता है, कैसे अपने दोस्तों को ट्रीट करता है। वो अंबर की हर एक छोटी से छोटी बात नोटिस करती।
मुझे ध्यान है कि एक बार मैं और 'धरा' केमिस्ट्री लैब के सामने से गुजर रहे थे और मैं, 'धरा' को 'अंबर' के नाम से ही चिढ़ा रही थी। मेरी आवाज़ एकदम तेज़ हो गई और 'अंबर' ने अचानक हमारी तरफ देखा।
'धरा' नहीं चाहती थी कि 'अंबर' हमें देखे। हम पीछे हटे और दीवार के पीछे छुप गए। 'धरा', क्योंकि मेरी बेस्ट फ्रेंड थी, मैं अक्सर उसे 'अंबर' के नाम से चिढ़ाया करती।
'अंबर' के काॅलेज से पास आउट होने के बाद भी 'धरा', 'अंबर' की किसी बात को नहीं भूली। 'अंबर' के स्टॉप पर बस का रुकना, 'अंबर' का बस में चढ़ना, 'धरा' के आसपास बैठना, दूर बैठकर भी 'धरा' का छुप-छुप के 'अंबर' को देखना। उसके जाने के बाद, उसकी हर बात धरा को सताने लगी। 24 घंटे में शायद 20 घंटे उसे याद करती। उसे याद करते सोती, उसे याद करते जगती।
'धरा' ने अपने मन की बात छुपाने की बहुत कोशिश की लेकिन प्यार 'धरा' पर भारी पड़ गया और डेढ़ साल के बाद उसने अपने मन की बात 'अंबर' से कह दी।
जिसे इसका एहसास भी नहीं था। जो शायद जानता भी नहीं था कि कोई लड़की उसको इस हद तक चाहती है।
मुझे याद है जब लास्ट एग्जाम वाले दिन, रात के 2:00 बजे 'धरा' ने अपने मन की बात 'अंबर' से कही और 'धरा' के "आई लव यू" का जवाब 'अंबर' ने "आई लाइक यू" से दिया। तब उसने रात में ही बेचैन होकर मुझे काॅल करके सब बताया।
'धरा' समझदार थी, उसने भावनाओं को समेटा और समय के साथ खुद को समझा लिया। उस दिन उसके मन की सारी शंकाएं, सारी एक्साइटमेंट, सारे फीलिंग्स सब 'शांत' हो गए।
कितना आसान है "आई लव यू" कहना।
उतना ही मुश्किल है उसके "अर्थ" को सहना।
© प्रज्ञा वाणी