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शुक्रिया साथी
बात पिछले नवंबर की है, मुझे रोहतक में कोई काम निपटाते हुए, जयपुर जाना था। वहां यूनिवर्सिटी हॉस्टल में ही रुकने का बंदोबस्त था, इस कारण रात 9 बजे हॉस्टल बंद होने से पहले पहुंचना था लेकिन प्राइवेट बस मिलने के कारण मैं बहुत लेट हो चुकी थी, रोहतक से रेवाड़ी पहुंचने में ही शाम के 5 बज चुके थे, जयपुर जाने वाली आख़िरी बस मुझसे छूट गई थी, और मैं अब बहुत ज्यादा पैनिक हो रही थी। ऐसे में ऑटो वाले अंकल ने मेरा बदहवास चेहरा देखा। ऑटो चलाते समय वो बार-बार सवाल करते और मैं उतना ही झल्लाती, आख़िर में उन्होंने ऑटो कुछ पुलिस वालों के पास जाकर रोक दी, जिससे मैं और ज्यादा चिढ़ गई कि एक तो मुझे पहले से ही देर हो रही है और इनलोगों को फ़ालतू में टाइम पास करना है। पुलिस वाले अंकल ने भी सवाल-ज़वाब किया और थोड़ा सोच-विचार करने के बाद उस तरफ़ जाने वाले एक ऑटो वाले को बुलाया और बहुत ताकीद के साथ मुझे...