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#उदासी
आज सुबह से ही चहल पहल बढ गई थी क्योंकि आज बच्चों का बहुत-बहुत चहैता, आसमानी बुलंदियों छुता... पतंग का त्योहार था। लगभ दिपावली के रंगीन मिजाजी त्यौहार के बाद से लेकर जिसका इंतजार किया था... मन में दोस्तों के साथ जो मनसूबे गढे थे... इसे साकार करने का समय आ गया था ! इसलिये मयंक कुछ ज्यादा ही जल्द उठ गया था । अपने इर्द गिर्द के कजीन्स को भी जल्दी उठाने पहूँच गया। पतंग और डोर का प्रबंध तो अगले दिन ही कर दिया था। और साथ में चीकी, खजूर और जलेबी - उंधीया का भी ! आज दोपहर अपनी निश्चित जगह पर पहूँच जायेगा !
देखते ही देखते अच्छी खासी बच्चों की टोली जमा हो गयी। आसमान आज अपने आप पर गर्व महसुस कर रहा था क्योंकि दो साल से लेकर साठ साल तक के बूढे तक सभी अपनी छत के तले पहलीबार इकट्ठा मिले हैं। रंग बिरंगी कपडे पहने पतंगबाज़ अपनी रंग बिरंगी पतंगों के साथ आसमान को मेघधनूषी रंगों में बदल देने का प्रयास कर रहे थे ! दूसरी ओर डी जे की आसमान में प्रतिध्वनित तिक्ष्ण
मिश्रित ध्वनि पर नाचते गाते थिरकते आबालवृद्ध मजे लूंट रहे थे !!
बड़े ही आनंद से पतंगोत्सव संपन्न हुआ...! बच्चों सहित बुजुर्गो को भी बड़ा ही मजा आया। लेकिन मां को लगा कि मयंक कुछ कुछ उदास है। मां के पुछने पर और वजह जानने का प्रयत्न किया तो मयंक ने मां से कहा कि" हीरेन और छाया दोनों भाई बहन मिलकर अच्छे से पतंग चढा रहे थे ! छांया फिरका पकडती और हीरेन पतंग चढाता.. दोनों बारी बारी से पतंग चढाते.. कितना मजा आता होगा..!?".. मां ने पाया कि वह खूद को बहुत अकेला महसुस कर रहा है !
सिंगल चाईल्ड पैरंट्स होने का जो आजतक सतत रौब झाडते आये थे.. आज पहली बार चिंतित दिखे। हर पल अपने बच्चे की खुशी के लिए पानी के बदले दूध प्रस्तुत करने वाले मम्मी-पापा को अपने बच्चे की एकलता और उदासी ने झकझोर कर रख दिया। घर में न दादा है दादी है और ना ही नाना नानी. ना चाचा चाची और ना ही बूआ ! यह एक परिवार नहीं बल्कि सराय लग रहा था..! उनको पहलीबार एहसान हुआ कि अच्छी परवरीस के लिए सिंगल चाईल्ड का सिध्दांत फोलो करके उन्हों ने बड़ी गलती कर दी है। दोनों ने रातभर सोचा और सुबह मयंक से पुछने लगे तुम्हें अकेला अच्छा नहीं लगता है तो तुम्हें क्या चाहिये भाई या बहन ? बिना सोचे "बहन" चिल्लाकर मयंक खुशी से उछल पडा !
उसी दिन मयंक को साथ लेकर मम्मी-पापा नजदीकी अनाथाश्रम पहुंचे और तीन चार साल की बच्ची गोद लेने का रजिस्ट्रेशन करवा आये..! कानूनी कार्रवाई खत्म होते ही सप्ताह भर में मयंक को बहन मिल गई ! घर में छायी मायूसी दूर दूर तक नजर नहीं आ रही थी ।

© Bharat Tadvi