माफ़ कर दो
बहुत समय पहले एक घनघोर जंगल था। उस जंगल में अनेकों प्रकार के जानवर रहते थे। जंगल का नाम उपवन था। सभी लोग मिल जुल कर रहते थे। जैसे मैं कुल्लू सियार, डंपी गधा, भोलू भालू और चेतक नाम का एक खरगोश था। चमकू हाथी और बाला नाम के शेर भी उन्हीं लोगों के साथ रहते थे। सभी लोग एक दूसरे से परस्पर प्रेम की भावना रखते थे। कुछ समय बीत जाने के बाद चेतक खरगोश की पत्नी चेतिका ने एक बच्चे को जन्म दिया। सभी जानवर बारी-बारी से आते और बच्चे को देखते और खुश होते। सबसे पीछे कुल्लू आया और खुश होकर बोला - अरे वाह! कितना प्यारा है ( ललचाई हुई नजरों से देखता है।)
तभी वहां पर खड़े बाला शेर ने गंभीर आवाज में बोला -क्यों रे! कुल्लू आज तू शिकार की तलाश में नहीं गया। कुल्लू सियार अपनी पूछ को पीछे छिपाता है और अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहता है- क्या सरदार आप भी? कैसी बातें करते हो! ही ही ही ही ही ही ही । तभी चमकू हाथी बोला- अरे बाला- हमारे दिल में नया मेहमान आया है, इसका नाम क्या रखेंगे कुछ सोचा है तुम लोगों ने? तभी भालू भालू बोला- बच्चे का नाम तो माता पिता ही रखते हैं और मेरे ख्याल से यही उचित भी है। चेतक खरगोश बोला कि अभी तो हम दोनों ने इसके बारे में सोचा ही नहीं। फिर चितिका बोली-यदि हमारे बच्चे का नाम आप लोग रखेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा। उसी जगह पर डंपी गधा कब से सोचे ही जा रहा था परंतु करे तो क्या करें? वह था तो गधा ही क्योंकि गधों के पास अक्ल नाम की कोई चीज होती ही नहीं। डंपी गधा बोला मैं सोचना कहां से शुरू करूं, कुछ समझ आता ही नहीं। डंपी की बात सुनकर वहां पर उपस्थित सभी जानवर जोर जोर से हंसने लगे। भोलू बोला- डंपी !तुम क्यों इतना परेशान हो? उसके लिए हम लोग हैं ना। क्यों बाला? बाला ने भी हाँ में अपने सिर को हिलाया। कुल्लू सियार बोला ऊँ.....ऊँ.......। इसका नाम 'क' से होना चाहिए। बाला ने मजाकिया अंदाज में बोला इस जंगल में तेरा नाम काफी नहीं है जो दूसरों को भी अपनी कतार में खड़ा कर रहा है। बाला और शेर की बातें सुनकर कुल्लू चुप हो जाता है। उसी समय चमकू बोला -यदि तुम लोगों की इच्छा हो,तो मैं इसका नाम बताऊं। सभी लोगों ने एक साथ में हामी भर दी। तब चमकू हाथी बोला -मैं इस नन्हे मेहमान का नाम सुंदर रखता हूं। यह नाम कैसा रहेगा? यह नाम सुनते ही चेतक ने कहा- सुंदर नाम से हमारा हृदय भी शीतल हो गया। इसका नाम सुंदर ही रहेगा।
धीरे-धीरे सुंदर बड़ा होने लगा। जब जंगल के बड़े जानवर शिकार से जब वापस लौटेते तो सुंदर की भाग-दौड़ और उछल- कूद से सभी लोगों की थकावट दूर हो जाती। सुंदर कभी बैठे हुए चमकू की पीठ पर चढ़ जाता तो कभी उसके इर्द-गिर्द ही घूमता। कभी-कभी डंपी के आगे आगे दौड़ने लगता, कुल्लू भी सुंदर के...
तभी वहां पर खड़े बाला शेर ने गंभीर आवाज में बोला -क्यों रे! कुल्लू आज तू शिकार की तलाश में नहीं गया। कुल्लू सियार अपनी पूछ को पीछे छिपाता है और अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहता है- क्या सरदार आप भी? कैसी बातें करते हो! ही ही ही ही ही ही ही । तभी चमकू हाथी बोला- अरे बाला- हमारे दिल में नया मेहमान आया है, इसका नाम क्या रखेंगे कुछ सोचा है तुम लोगों ने? तभी भालू भालू बोला- बच्चे का नाम तो माता पिता ही रखते हैं और मेरे ख्याल से यही उचित भी है। चेतक खरगोश बोला कि अभी तो हम दोनों ने इसके बारे में सोचा ही नहीं। फिर चितिका बोली-यदि हमारे बच्चे का नाम आप लोग रखेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा। उसी जगह पर डंपी गधा कब से सोचे ही जा रहा था परंतु करे तो क्या करें? वह था तो गधा ही क्योंकि गधों के पास अक्ल नाम की कोई चीज होती ही नहीं। डंपी गधा बोला मैं सोचना कहां से शुरू करूं, कुछ समझ आता ही नहीं। डंपी की बात सुनकर वहां पर उपस्थित सभी जानवर जोर जोर से हंसने लगे। भोलू बोला- डंपी !तुम क्यों इतना परेशान हो? उसके लिए हम लोग हैं ना। क्यों बाला? बाला ने भी हाँ में अपने सिर को हिलाया। कुल्लू सियार बोला ऊँ.....ऊँ.......। इसका नाम 'क' से होना चाहिए। बाला ने मजाकिया अंदाज में बोला इस जंगल में तेरा नाम काफी नहीं है जो दूसरों को भी अपनी कतार में खड़ा कर रहा है। बाला और शेर की बातें सुनकर कुल्लू चुप हो जाता है। उसी समय चमकू बोला -यदि तुम लोगों की इच्छा हो,तो मैं इसका नाम बताऊं। सभी लोगों ने एक साथ में हामी भर दी। तब चमकू हाथी बोला -मैं इस नन्हे मेहमान का नाम सुंदर रखता हूं। यह नाम कैसा रहेगा? यह नाम सुनते ही चेतक ने कहा- सुंदर नाम से हमारा हृदय भी शीतल हो गया। इसका नाम सुंदर ही रहेगा।
धीरे-धीरे सुंदर बड़ा होने लगा। जब जंगल के बड़े जानवर शिकार से जब वापस लौटेते तो सुंदर की भाग-दौड़ और उछल- कूद से सभी लोगों की थकावट दूर हो जाती। सुंदर कभी बैठे हुए चमकू की पीठ पर चढ़ जाता तो कभी उसके इर्द-गिर्द ही घूमता। कभी-कभी डंपी के आगे आगे दौड़ने लगता, कुल्लू भी सुंदर के...