(कहानी १) जब उन्होंने मेरे बालों में गिरे हुए एक फूल को हटाया...!
कुछ दिनों पहले की बात है, मैं रोज की तरह दफ़्तर में अपने काम में मशरूफ़ था। दोपहर होते ही मैं मित्रों के साथ खाना खाने चला गया। लगभग १ घंटे के बाद आकर अपने मेज़ पर बैठ गया। उस दिन मेरे ठीक दाईं तरफ मेरी सहकर्मी बैठी हुईं थीं। उनके लिए मेरे दिल में काफी सम्मान था क्योंकि वह मेरी "छोटी माँ" की तरह मेरे चीजों का, मेरी गतिविधियों , मेरी पसंद, नापसंद, वस्त्र, सुख, दुख इन सबका ध्यान रखती थीं। उनके साथ कार्य करते हुए लगभग एक वर्ष पूरे हो चुके थे।
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यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवताः।
(जहाँ नारियों की पूजा होती है, उनकी इज्ज़त होती है वहाँ देवता निवास करते हैं)!
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आज तक मैंने विद्यालय में लड़कियों के साथ पढ़ाई तो की थी परंतु मैंने सदैव उनसे दूरी बनाए रखने की ही कोशिश की क्योंकि बातचीत करने में मुझे शर्म आती थी। आठवीं से बारहवीं तक तो ऐसे विद्यालय में पढ़ा जहाँ केवल लड़के ही थे। जब कॉलेज आया तो यहाँ पर बहुत सी और भी लड़कियों ने दाखिला लिया। पर मैं एक बालक छात्रवास में रहता था और किसी महाविद्यालयीन कार्यों के चलते ही लड़कियों से बात करना होता था। यूं कहूँ तो मैं अपने...
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यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवताः।
(जहाँ नारियों की पूजा होती है, उनकी इज्ज़त होती है वहाँ देवता निवास करते हैं)!
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आज तक मैंने विद्यालय में लड़कियों के साथ पढ़ाई तो की थी परंतु मैंने सदैव उनसे दूरी बनाए रखने की ही कोशिश की क्योंकि बातचीत करने में मुझे शर्म आती थी। आठवीं से बारहवीं तक तो ऐसे विद्यालय में पढ़ा जहाँ केवल लड़के ही थे। जब कॉलेज आया तो यहाँ पर बहुत सी और भी लड़कियों ने दाखिला लिया। पर मैं एक बालक छात्रवास में रहता था और किसी महाविद्यालयीन कार्यों के चलते ही लड़कियों से बात करना होता था। यूं कहूँ तो मैं अपने...