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"उम्मीद"(पहला भाग)


लाड़ प्यार से पली "सरिता" अपने मां-बाप की अकेली बेटी थी। जीवन में किसी भी चीज़ की उसे कमी ना हुई। पैसा परिवार हर तरह से सुख संपन्न, मुरादाबाद की रहने वाली थी।

उसकी शादी "विकल" जो मुंबई में इंजीनियर था, से हुई। "विकल" का भरा पूरा परिवार था। चार भाईयों और दो बहनों में सबसे छोटा। सभी भाई बहनों की शादीयां हो चुकी। अपने मां बाप के साथ सब मुंबई में ही रहते।

नौकरी, शहर और संयुक्त परिवार को देखते हुए "सरिता" के मां बाप ने अपनी इकलौती बेटी की शादी "विकल" से कर दी।

मुंबई के घरों की हालत किसी से छुपी नहीं है। जहां चारों भाइयों का परिवार मिलाकर 15 लोगों का परिवार हो, वहां बड़ी जगह भी छोटी पड़ ही जाती है। ऐसा ही कुछ "सरिता" के साथ हुआ।

शादी से पहले पांचो भतीजी भतीजे "विकल" के पास ही सोते ताकि उसके भैया भाभी अपने अपने कमरों आराम से सो सकें। बच्चों को चाचा से ज़्यादा लगाओ था और "विकल" में भी बच्चों के प्रति खूब स्नेह था।

"विकल" के प्रति बच्चों का प्यार तब सरदर्द बन गया जब शादी की पहली रात कोई भी बच्चा उसके कमरे से जाने को तैयार ना था क्योंकि अब उन सबको नई नवेली 'चाची' के साथ सोना था...।

शादी की पहली रात तो जैसे तैसे थकान में सोते हुए बीत गई। "विकल", "सरिता" के नज़दीक आने की पूरी कोशिश करता पर उस बड़े से घर की भीड़ भाड़ में मौका ही नहीं मिलता।

देखते ही देखते दिन बीते, हफ्ते बीते, अब महीना हो चला पर दोनों को पल दो पल का प्यार नसीब न हुआ। घरवाले भी हालत को समझ रहे थे लेकिन बड़े भाई भाभियों को अब उनकी इस हालत पर मज़ा आने लगा।

"विकल" को अब ये डर सताने लगा कि कहीं "सरिता" उसकी दूरी का ग़लत अर्थ न निकाल बैठे क्योंकि इस बड़े से घर में कोई छोटा सा कोना नहीं था, जहां उनके प्यार को पनाह मिल सके।

एक दिन रात के खाने पर "विकल" ने अपने मन की बात सबके सामने रखी... मैंने पास ही में किराए का अच्छा घर देखा है। सोच रहा हूं मैं और "सरिता" वहां शिफ्ट तो जाएं। ये घर भी बड़ा है पर इतने लोगों में छोटा पड़ जाता है और बच्चे भी दिन-ब-दिन बड़े हो रहे हैं।

"विकल" की बात सुनते ही पिताजी ने अपनी थाली को ठोकर मारते हुए कहा "ठीक है, चले जाओ फिर हम से कोई मतलब मत रखना"। समाज के तमाम रीति-रिवाज और संस्कारों की लंबी फेहरिस्त परिवार वालों ने "विकल" के सामने रख दी।

अब "विकल" सोच में डूब गया। एक तरफ उसका परिवार है, जो अपना भविष्य "विकल" में देखता है और दूसरी तरफ उसकी पत्नी जो हज़ारों सपने लेकर उसकी जीवन संगिनी बनी। जिसके साथ खुलकर उसने अपने विवाहितजीवन की पहली श्वास भी नहीं ली थी।

photo credit:- Facebook.
© प्रज्ञा वाणी