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old age home
इंसान कितना मतलबी हो चुका है । पैसे कमाने की लालसा ने उन्हे सही गलत की सीख भुला दी है ।उनका दिमाग पैसे कमाने के नए नए जरिए को ढूंढते रहते है । सब सारे रास्ते और दरवाजे बंद दिखते है तब उन्हे खुद के घर का दरवाजा दिखता है ।जिसकी चौखट पर उन्ही के मां बाप बैठे होते है। उन्हे देखकर उनके दिमाग में एक सुझाव आता है क्यों न उन पति पत्नी का जीवन आसान बनाया जाए जो अपनी निजी जीवन मे इतना व्यस्त हो चुके है कि उन्हे उनके मां बाप ही नजर नहीं आ रहे है। और उनका ख्याल रखने का भी वक्त नहीं मिल पा रहा है । जो मां बाप बिना कोई स्वार्थ के लिए अपने बच्चो की देखभाल मे पूरी जिंदगी निकल दी है। और आखिर में उनके ही बच्चे अपने स्वार्थ के खातिर उन्हे बोझ समझते है
जिस बेटे बेटी का बोझ लिए एक पिता उन्हे स्कूल छोड़ने जाते थे ।
आज वही बच्चे उन्हे बोझ समझ कर वृद्धाश्रम में छोड़ने जाते है।
अगर ध्यान से सोचें तो बात फिर वही आ कर रुकती है ।
"पैसा" जिसे लेकर हर इंसान को हर वक्त इसकी कमी ही रहती है ।और हर वक्त इस कमी को पूरा करने लिए लगे रहता है । और अब कुछ लोग पैसे के लिए मां बाप को जरिया बनाए है। OLD AGE HOME खोल कर । न होते अगर ये वृद्धाश्रम तो कितने मां बाप अपने उस घर मे होते जिसे बनाने में वे अपनी खून पसीना एक कर देते है। ताकि बुढ़ापे में बच्चो के साथ उस घर में सुखी से रहे।
लेकिन कहां मालूम था उन्हे OLD-AGE HOME के बारे मे।
मालूम होता अगर बुढ़ापे के लिए जिस घर को बना रहे है उसमे न रह कर अपने बच्चो से दूर वृद्धाश्रम मे ही रहना है तो क्यों इतनी मेहनत कर उस घर को बनाते । उस घर मे रहना उनके नसीब में ही नहीं है और उनकी किस्मत कोई और नहीं उनके बच्चे ही बदलते है। जिनके बारे में वे वृद्धाश्रम मे रहकर भी यही सोचते है की बच्चे बहुत व्यस्त हो गए है।।

" निःस्वार्थ लिए मन मे अपने बच्चों के लिए पूरी जिंदगी निकल दिए।
बारी उनकी जब आई इस कर्ज को पूरा करने की तो बच्चो ने उन्हे घर से निकल दिए।।

© Aaliya