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!...लव–जिहाद...!

मैं एक ऐसी दुनिया में रहता हूं जहां शायद ही कोई बिना प्यार के रह सकता हो, मुझे तो नहीं लगता क्योंकि इस पृथ्वी पर सांस लेने वाला हर प्राणी चाहे वो इंसान हो जानवर हो पेड़ पौधे हो या चरिंदे परिंदे हो, पानी में रहने वाले जीव हो या कीड़े मकोड़ों से लेकर सुस्मदर्शी जीव कोई भी हो सबको प्यार चाहिए!

फिर प्यार करना जिहाद कैसे हो सकता है मैं इस बात को लेकर हमेशा सोचता हूं, मेरे वतन में जब कोई प्यार करके एक दूसरे के करीब आता है और फिर उनमें कुछ मन मोटाओ उत्पन्न होता है और उन मन मोटाओ की वजह से उसमे क्राइम हो जाता है तो बताओ वो प्यार जो अब एक अपराध हो गया है .. उसका धर्म से क्या मतलब!

जब उन दो लोगों ने प्यार करते हुए धर्म नही देखा तो अपराध होने के बाद वो बस एक अपराध कहलाना चाहिए था ... न की लव जिहाद! "लव जिहाद तो प्यार के लिए प्यार को पा लेना होना चाहिए था फिर ये अपराध कैसे बन गया, ये हमे और आप को सोचना चाहिए"..!
हां! ये बात सच है कि मैं मुसलमान हूं और बुरा लगता है मुझे इन शब्दों से जिससे किसी एक धर्म पर निशाना बनाया जाता है

शादी और प्यार के नाम पर तो हर धर्म में लड़कियों के साथ कुछ न कुछ बुरा हो रहा है पर प्यार में भी धर्म को लाकर राजनीति करना ये गलत है
प्यार कहो मोहब्बत या इश्क जो भी कहो ये तो एक फीलिंग है जो किसी भी व्यक्ति को किसी के लिए भी हो सकता है प्यार तो धर्म के बंधन से आजाद है प्यार तो बस दिल सादगी और चाहत देखता है.. प्यार लव जिहाद नही देखता है

दुनिया में 200 से ज्यादा देश है और मेरे ही वतन में लव जिहाद पर राजनीति होती है और मेरे देश के लोग इस शब्द को लेकर मुसलमानो से नफरत करते है लव जिहाद तो बी.जे.पी के आने के बाद एक्टिवेट हुआ उससे पहले तो प्यार को प्यार की नजर से ही देखा जाता था... लव जिहाद तो बस सरकार की एक सोच है,

मोहब्बत करने वालो की सोच लव जिहाद नही हो सकती है क्योंकि प्यार को वो दिल पसंद है जहा उसके लिए प्यार हो, लव जिहाद नही! इसलिए क्राइम को क्राइम की नजर से देखना चाहिए! धर्म या राजनीति की नजर से देखने वाला कोई भी व्यक्ति प्यार नही कर सकता है.. वो तो बस नफरत कर सकता है

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