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लाला कथा
लाला कथा......
किसान मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा परन्तु उसको उसकी फसल का सही दाम ना मिलना, भण्डारण क्षमता कम होना और प्रकृति द्वारा साथ ना देना उसको विभिन्न प्रकार से शोषण का शिकार बनाते हैं... देखते ही देखते किसानो की श्रेणिया बदल गयी जो खेती करते हैं उनमे भी वर्गभेद हो गया है आजकल किसानो में भी लाले बन गये हैं... गांव का एक किसान सरकारी फायदे उठाने का एक्सपर्ट तो बहुत किसान उससे वंचित हो गये हैं.. कुछ किसान किसानी के साथ साथ सरपंची की फार्चूनर का आनन्द ले रहे हैं तो एक्का दुकका राजनितिक गुण्डयी भी, अधिक जमीन आज भी शक्ति की प्रदर्शक है अतः किसान दूसरे किसान की जमीन चाहे बंजर ही हो आज भी अपहृत कर लेता है, किसानो में भी जातीय अहंकार वाले लोग रहते है उनको भी पता है की कोई संख्या बल और कम जमीन संसाधन वाला किसान उनके लिये कितना तुच्छ हैं सब किसान एक जैसे नही रह गये हैं.. परसो बहुत से मजदूर ट्रेन के नीचे आकर कट गये लालाओ को कोसा जा रहा है, लालाओ ने उनको ट्रेन के नीचे सोने को नहीं कहा.. उन्होने तो किसी को लठ्ठ के जोर पर किसान और मजदूर भी नहीं बनाया और हां आज के भारत में तो बहुत से लाला उन किसानो और मजदूरो की औलादे भी है। लाला शोषण करने लग गया क्योकी वह ऐलियन नहीं है वह इसी समाज का हिस्सा हैं, सरकारी से लेकर नीजी संस्थान और डिपार्टमेंट में लाला बैठे हैं..आजकल तो शिक्षक वर्ग भी ब्याज बट्टे का धंधा कर लाला बन गये हैं.. लालाओ की श्रेणीया भी बन गयी है फैक्टरी चलानै वाला, दुकान चलाने वाला और मण्डियो में सैटिंग से लालागिरी करने वाला लाला ..जातियो वाले लाले और राजनिती के लाले लाले भी बहुत प्रकार के है. इनमे से कोई भी मंगल से नहीं आया इसलिये वो शोषण कर रहा है.. सुना है आजकल के लाले तो कुयें बावडी और धर्मशाला भी नहीं बनवाते परन्तु शोषण तो बराबर हो रहा है , लोकतंत्र और संविधान अब शोषितो के अधिकारो के लिये है.. देश में इनके भी लाले है। हमारा देश गरीब है हम कोरोना जैसी महामारी में लाकडाउन खोलने पर आमादा है क्यूकी हम गरीब है.. हम गरीब है फिर भी हमें अमीर खराब लगते हैं पडोसी का बेटा जब से उधोगपती बना है तब से हमारे समाजवाद का दुश्मन हो गया है पडौसी मजदूर था.. हमे पैसेवाले दिखने नहीं चाहिये हमारी संताने श्रमिक और मजदूर बनी रहे सरकार समान वितरण का कार्य करे.. व्यापारी उधोगपती खराब है वे लाले है लाले शोषण करते हैं.. हम गरीब हैं हमारे बेटे बेटी लाले ना बने क्योकी अमीर खराब होता है.......शोषण अमीर गरीब का करता है इसलिये अमीर खराब है गरीब अच्छा है गरीब होने चाहिए गरीबो का शासन होना चाहिए फैक्टरी मालिक नहीं होना चाहिए परन्तु फेक्टरिया होनी चाहिए। एक दिन पडोस में एक मित्र के यहां गये रात दिन जातीय शोषण की बाते करते हैं उनका पांच साल का भतीजा मजदूर का बैटा है और वे किसी सरकारी डिपार्टमैंट में संविधान की बदोलत लाला बन चुके हैं.. भतीजे की चप्पल उनकी फाटक के बाहर खुल गयी और चीनी मांगने के लिये भतीजे की कटोरी आगे है.. यह लाला कह रहा है सालो को.. कब तक पाले इन ........अथ श्री लाला कथा 🙏🙏🙏