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शर्त
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत बेशूमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तीया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा। लेकिन उस बगीचे में दस आम थे ही नहीं,एक आम तो आनंद खा चुका था। अब कैसे बताए चंदन को की वो शर्त हार जाएगा। पहले तो ये भी नहीं पता था आनंद को की वो कहां जाए किस बगीचे में आम लगाए और फिर पके आम को तोड़ के खाए तोड़ा। और उसे ये भी नहीं पता था की कौनसे महीने में आम उगते हैं,अभी तो नही मिलते। पर उसने खोजी और आम के पेड़ को बगीचे मे लगाई। फिर आम पके और आम के पकने का समय उसने जान ली फिर आम ही आम उगाए। तब जाके चंदन बगीचे में पहुंच के देखा और आम को छुआ और फिर तोड़ा और फिर खाया,लेकिन वह शर्त को हार गया,क्योंकि पहले से ही एक आम काम था और एक उसने कहा लिया और फिर बाकी बचे आठ आमों को उसने कपड़े की थैली मे डाल लिया और घर लेके आया और दोस्तों को निकालकर दिखाई। फिर उन्होंने आम चूसे,और गोटियां फेंक दी। फिर हाथ धोए और सो गए, शर्त भूलकर। कैसी लगी कहानी?बड़ी हवेली में अब सिर्फ आम चोरों की भूतें लटकती है पेड़ से। मैं वहां नहीं जाती,क्योंकि मुझे डर लगता है वहां के बगीचे से,सिर्फ उस दिन के खाए गए आम के गोट नजर आते हैं,फिर लगता है हमारे भेजे को कोई चूस लेगा और हमारे खोपड़ी ऐसे गोटियों की तरह सुका लेगा। ये है शर्तीया चंदन की कहानी।
© Apoorva