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चलो एक किस्सा सुनाती हूं...
आज़ नए साल के पहले दिन एक पुरानी याद सुनाती हूं... चलो एक किस्सा सुनाती हूं
11th में थी जब हॉस्टल में रहने गई थी तब मम्मी बहुत इमोशनल हो गई और साथ में नहीं गई। मुझे हॉस्टल छोड़ने पिताजी गए, उधर से लौटते समय पिताजी ने एक ही बात कही कि, "तुम आज से जहां चाहो, जब चाहो, जैसे चाहो और जिसके साथ चाहो आ जा सकती हो, कोई नहीं होगा रोकने टोकने वाला, जो करना है करो बस एक बात याद रखना आज...