इश्क़ और इंन्सानियत
अपनी छोटी सी ज़िंदगी मे इतना तो कर जायेंगे। किसी की नज़र मे उम्र भर जियेंगे। किसी के दिल मे चुप चाप मर जायेंगे।
इश्क़, महोब्बत्, प्यार सब की ज़िंदगी मे एक बार दस्तक ज़रूर देता है। कुछ लोगों को तो बार बार होता है।
पहले के ज़माने मे खिड़की से झांकना, खत या चिठ्ठी से बातें करना। सादगी वाला इश्क़ हुआ करता था।
अब तो व्हाट्स अप वाला, वीडियो कॉल वाला प्यार है। एक दूसरे के बारे मे पहले ही इतना जान लेते है के फिर कुछ बाकी ही नहीं रहता।
वक़्त के साथ सिर्फ इश्क़ के मायने नहीं लोगों के और रिश्तों के भी मायने बदल गए है।
ना वक़्त है लोगों के पास ना इंन्सानियत ना जज़्बात। खाली खाली दिल लिए मारा मारा फिरता है आदमी।
सब सुख सुविधा होने के बाद भी इंसान दुःखी है। इश्क़ मरहम हुआ करता था अब सिर्फ जख्म है।
कभी किसी से बेमतलब ही हाल चाल पूछ लिया करो। इन्सान हो तो इंन्सानियत बनाये रखो।
© All Rights Reserved
इश्क़, महोब्बत्, प्यार सब की ज़िंदगी मे एक बार दस्तक ज़रूर देता है। कुछ लोगों को तो बार बार होता है।
पहले के ज़माने मे खिड़की से झांकना, खत या चिठ्ठी से बातें करना। सादगी वाला इश्क़ हुआ करता था।
अब तो व्हाट्स अप वाला, वीडियो कॉल वाला प्यार है। एक दूसरे के बारे मे पहले ही इतना जान लेते है के फिर कुछ बाकी ही नहीं रहता।
वक़्त के साथ सिर्फ इश्क़ के मायने नहीं लोगों के और रिश्तों के भी मायने बदल गए है।
ना वक़्त है लोगों के पास ना इंन्सानियत ना जज़्बात। खाली खाली दिल लिए मारा मारा फिरता है आदमी।
सब सुख सुविधा होने के बाद भी इंसान दुःखी है। इश्क़ मरहम हुआ करता था अब सिर्फ जख्म है।
कभी किसी से बेमतलब ही हाल चाल पूछ लिया करो। इन्सान हो तो इंन्सानियत बनाये रखो।
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