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दीपिका के तेवर
जैसा कि हम देखते है कि ईश्वर ने सभी को एक समान नही बनाया है। इस धरती पर कोई अमीर तो कोई गरीब है।कोई सुख- परिपूर्ण व्यक्ति हैं तो कोई किसी बीमारी से पीड़ित हैं।
किसी के पास अपना घर, परिवार है तो किसी के पास ये भी नही।
इसी तरह किसी के पास जबान है तो किसी के पास जबान भी नही।
ऐसी ही कुछ व्यथा मेरी बहिन दीपिका की है।
दीपिका जो कि मुझसे छोटी है , वह जब पैदा हुई थी तभी से ही जन्म जात मुकबधिर है।हांलाकि वह अब तो सबकुछ समझती भी है।किंतु जो प्रमुख कमी है,वह ये है कि -वो न बोल सकती है और न ही सुन सकती है अर्थात गुंगी -बहरी है।
किंतु एक बात मैंने सबसे ज्यादा गौर की, उसे मेरे परिवार के सारे लोग चाहते है।वह जहाँ भी जाती है, उसे वहाँ देखकर खुश होते है! उसके साथ बातें करने लगते है।
बस इतना ही नही उसके साथ अपना प्यार बांटते हैं।
मेरे घर में पहले मै जन्मा उसके बाद दीपिका पैदा हुई थी! दीपिका का पापा ने नाम वैसे अमृता सिंह रखा था। किंतु बाद में नामकरण से दीपिका रख दिया। लेकिन घर में दीपिका का निकनेम दीपि रख दिया।अब उसे सब दीपि कह कर ही पुकारते है।
कुछ आसपास की बुढ़ी स्त्रियाँ तो उसे दीपि की बजाय डीपी कह कर पुकारती है।
दीपिका को परिवार वाले व सभी अड़ोस -पड़ोस के लोग बहुत स्नेह देते है। दीपिका शरारती व थोड़ी कामचोर भी हैं। अक्सर जब भी कोई काम दिया जाता है तो वह जब मन नहीं होता,तो नहीं करती है।
जब वह खुश होती है तो वह बहुत शरारत करती हैं। अक्सर वह छोटे भाई के साथ ज्यादा झगड़ती हैं। वह थोड़ी जिद्दी भी हैं। उसे टीवी देखने का बहुत शौक हैं। अगर कोई उसका टीवी बंद कर दें तो वह उस पर टूट पड़ती हैं । जिसमें छोटा भाई कर दें तो वह उसे खूब पीटती हैं। उसके पीटने से याद आया, जब उसके बहाने बनाने या झूठ बोलने पर उसे मां जब उसके चांटा जड़ देती हैं तो वह इस तरह आगबबूला हो जाती हैं जैसे मानों वह साक्षात् चण्डी बन गई हो। हालांकि दस मिनट के रंगमंच के बाद वह मनाने पर शांत भी हो जाती हैं। वह थोड़ी जिद्दी है इसलिए उसके तेवर हमारी कहानी का हिस्सा हैं।