एक फौजी की कहानी ❤️
मैं जब किसी लड़ाई , में मारा जाऊँ
तो मेरे जिस्म को उस डिब्बे में रख देना
काँधों पर कुछ दूर उठा कर मेरे घर चल देना
छाती पर मेरे तमघे रख मैं दुश्मन को पीठ नहीं दिखाया मेरे पापा से कह देना
कई सपने संजोए थी , सहादत पर बहूत बिलखती होगी मेरी माँ
मैं फिर आऊँगा तेरा ही बेटा बन कर इस जन्म में धरती माँ का कर्ज था चुकाना
रह गया अगर कुछ अधूरा तो मेरे भाईयों से ये कह देना
की उन वीरो की कुर्बानी का बदला तुम एक सिपाही बनकर लेना
वही घर के कोने में सहमी सी मेरी बहन को ये कहना
उपहार तेरा बाकी है , तू हर साल मेरे तसवीर पर राखी रख देना बहना
खून के रिश्तों से बढ़ कर निभाने वाले उन यारो से कहना
मैं तो बारात नहीं ले जा सका पर मेरी अर्थी में उन्हें संग है चलना
मेरे शहर से बहूत दूर वो मेरे आने का इंतजार करती है
बैग से मेरे सिंदूर और मंगलसूत्र निकाल उसके हाथों में रख देना
© रौशन rosi...✍️🍁
तो मेरे जिस्म को उस डिब्बे में रख देना
काँधों पर कुछ दूर उठा कर मेरे घर चल देना
छाती पर मेरे तमघे रख मैं दुश्मन को पीठ नहीं दिखाया मेरे पापा से कह देना
कई सपने संजोए थी , सहादत पर बहूत बिलखती होगी मेरी माँ
मैं फिर आऊँगा तेरा ही बेटा बन कर इस जन्म में धरती माँ का कर्ज था चुकाना
रह गया अगर कुछ अधूरा तो मेरे भाईयों से ये कह देना
की उन वीरो की कुर्बानी का बदला तुम एक सिपाही बनकर लेना
वही घर के कोने में सहमी सी मेरी बहन को ये कहना
उपहार तेरा बाकी है , तू हर साल मेरे तसवीर पर राखी रख देना बहना
खून के रिश्तों से बढ़ कर निभाने वाले उन यारो से कहना
मैं तो बारात नहीं ले जा सका पर मेरी अर्थी में उन्हें संग है चलना
मेरे शहर से बहूत दूर वो मेरे आने का इंतजार करती है
बैग से मेरे सिंदूर और मंगलसूत्र निकाल उसके हाथों में रख देना
© रौशन rosi...✍️🍁