"मंजरी"
मंजरी एक गरीब माता पिता की संतान थी ।
उससे बड़ी दो बहनों का विवाह हो गया था,बस मंजरी का विवाह होना बाकी था परन्तु उसके गहरे रंग के कारण उसकी माँ कुछ चिंतित रहतीं थी,वैसे मंजरी के नयन नक्श बहुत सुन्दर थें परन्तु गौर वर्ण की चाह में नयन नक्श की सराहना बहुत कम लोग करते है।
खैर दिन बीतते रहे,एक दिन की बात है पास के गाँव से मंजरी के घर वालों को शादी का न्यौता आया,मंजरी ने अपनी माँ से कहा, "मेरा मन नहीं है माँ तू बापू के संग हो आ,तब मंजरी के माता पिता विवाह समारोह में चले गए।
उधर गाँव के जमीदार अपने पुत्र के साथ उसके लिए लड़की देखने जा रहे थे कि अचानक तेज वर्षा ने उनके मार्ग में बाधा उत्पन्न कर दी।
अब वो किसी तरह बारिश से बचना चाह रहे थे,तभी उन्हें दूर एक छोटा सा घर दिखाई दिया तो मानों उन्हें डूबते को तिनके का सहारा मिल गया था। वे दोनों सरपट उस घर की ओर भागे,ये घर मंजरी का था,दरवाजा मंजरी ने खोला जमीदार ने सारा वृतांत मंजरी से कहा और कुछ देर ठहरने की आज्ञा मांगी मंजरी उन्हें आदर के साथ घर के अंदर ले आई और झटपट उनके लिए खटिया बिछा दी और पोछने को गमछा और बापू के दो कुर्ते और पैजामे ले आई दोनों ने बगल वाले कमरे में जाकर कपड़े बदले,दोनों को भूख भी जोरों की लग रही थी, मंजरी भी दोनों के मनोभावों को समझ गई, मगर घर में आलू के अलावा और कोई सब्जी नहीं थी तो मंजरी ने आलू से ही दो तीन तरह की सब्जियां, रोटी और चावल पकाये और जमीदार और उनके पुत्र को परोसा,जमीदार मंजरी के सूझबूझ और सेवा सत्कार से अत्यंत प्रभावित हुए, उधर उनका पुत्र सोमेश्वर भी मंजरी के कजरारी नयनों का दीवाना हो गया था।
जमीदार ने मंजरी से उसके माता पिता के बारे में पूछा तो उसनें कहा कि वो विवाह समारोह में गयें है, आज शाम को आने वाले है,जमीदार ने सोमेश्वर के लिए मंजरी को अपनी बहु के रूप में पसंद कर लिया था,दोनों ने भोजन खाया तो जमीदार बोले हम तुम्हारे माता पिता से मिल कर ही जायेगें,फिर मंजरी ने उनके आराम करने के लिए खाट पर चादर बिछा दी और तकिया भी रख दिया दोनों लेट गए, कुछ ही देर में मंजरी के माता पिता आ गए घर में जमीदार और उनके पुत्र को देखकर वे दोनों बहुत कृतज्ञता व्यक्त करने लगे,तब जमीदार बोले कृतज्ञता तो हमें व्यक्त करना चाहिए आपका,आज अगर आपकी बेटी ने हमारे लिए द्वार न खोला होता तो हम यही कही भूखे प्यासे बारिश में भीग रहे होते, इसने न केवल हमारे बैठने की व्यवस्था की बल्कि हमारे लिए इतना स्वादिष्ट भोजन भी पकाया, हमें अपने पुत्र के लिए आपकी बेटी बहु के रूप में बहुत पसंद है क्या आपको ये रिश्ता स्वीकार है मंजरी के माता पिता की आंखों में खुशी के आसूं आ गए, कहा तो वो मंजरी के विवाह को चितिंत थे और कहा आज वो जमीदार के घर की पुत्रवधु बनने जा रहीं थी।
© Deepa
उससे बड़ी दो बहनों का विवाह हो गया था,बस मंजरी का विवाह होना बाकी था परन्तु उसके गहरे रंग के कारण उसकी माँ कुछ चिंतित रहतीं थी,वैसे मंजरी के नयन नक्श बहुत सुन्दर थें परन्तु गौर वर्ण की चाह में नयन नक्श की सराहना बहुत कम लोग करते है।
खैर दिन बीतते रहे,एक दिन की बात है पास के गाँव से मंजरी के घर वालों को शादी का न्यौता आया,मंजरी ने अपनी माँ से कहा, "मेरा मन नहीं है माँ तू बापू के संग हो आ,तब मंजरी के माता पिता विवाह समारोह में चले गए।
उधर गाँव के जमीदार अपने पुत्र के साथ उसके लिए लड़की देखने जा रहे थे कि अचानक तेज वर्षा ने उनके मार्ग में बाधा उत्पन्न कर दी।
अब वो किसी तरह बारिश से बचना चाह रहे थे,तभी उन्हें दूर एक छोटा सा घर दिखाई दिया तो मानों उन्हें डूबते को तिनके का सहारा मिल गया था। वे दोनों सरपट उस घर की ओर भागे,ये घर मंजरी का था,दरवाजा मंजरी ने खोला जमीदार ने सारा वृतांत मंजरी से कहा और कुछ देर ठहरने की आज्ञा मांगी मंजरी उन्हें आदर के साथ घर के अंदर ले आई और झटपट उनके लिए खटिया बिछा दी और पोछने को गमछा और बापू के दो कुर्ते और पैजामे ले आई दोनों ने बगल वाले कमरे में जाकर कपड़े बदले,दोनों को भूख भी जोरों की लग रही थी, मंजरी भी दोनों के मनोभावों को समझ गई, मगर घर में आलू के अलावा और कोई सब्जी नहीं थी तो मंजरी ने आलू से ही दो तीन तरह की सब्जियां, रोटी और चावल पकाये और जमीदार और उनके पुत्र को परोसा,जमीदार मंजरी के सूझबूझ और सेवा सत्कार से अत्यंत प्रभावित हुए, उधर उनका पुत्र सोमेश्वर भी मंजरी के कजरारी नयनों का दीवाना हो गया था।
जमीदार ने मंजरी से उसके माता पिता के बारे में पूछा तो उसनें कहा कि वो विवाह समारोह में गयें है, आज शाम को आने वाले है,जमीदार ने सोमेश्वर के लिए मंजरी को अपनी बहु के रूप में पसंद कर लिया था,दोनों ने भोजन खाया तो जमीदार बोले हम तुम्हारे माता पिता से मिल कर ही जायेगें,फिर मंजरी ने उनके आराम करने के लिए खाट पर चादर बिछा दी और तकिया भी रख दिया दोनों लेट गए, कुछ ही देर में मंजरी के माता पिता आ गए घर में जमीदार और उनके पुत्र को देखकर वे दोनों बहुत कृतज्ञता व्यक्त करने लगे,तब जमीदार बोले कृतज्ञता तो हमें व्यक्त करना चाहिए आपका,आज अगर आपकी बेटी ने हमारे लिए द्वार न खोला होता तो हम यही कही भूखे प्यासे बारिश में भीग रहे होते, इसने न केवल हमारे बैठने की व्यवस्था की बल्कि हमारे लिए इतना स्वादिष्ट भोजन भी पकाया, हमें अपने पुत्र के लिए आपकी बेटी बहु के रूप में बहुत पसंद है क्या आपको ये रिश्ता स्वीकार है मंजरी के माता पिता की आंखों में खुशी के आसूं आ गए, कहा तो वो मंजरी के विवाह को चितिंत थे और कहा आज वो जमीदार के घर की पुत्रवधु बनने जा रहीं थी।
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