सत्य और असत्य में क्या अंतर है?
सत्य वह है जो हमेशा से मौजूद था, आज है और हमेशा मौजूद रहेगा। असत्य वह है जो कल नहीं था, आज है, और कल नहीं रहेगा।
हर वो चीज जो टूट कर, बिखर कर किसी और चीज में रूपांतरित हो जाती है, झूठी है; अगर वो सच होती तो हर परिस्थिति में एक सी रहती। ये पत्थर, ये चट्टानें, ये नदी, ये पौधे इन सबको आज जिस रूप में हम देखते हैं, कल उस रूप में नहीं देख पाएंगे । और हो सकता बहुत सालों बाद इनका रूप इतना परिवर्तित हो जाये की ये पहचान में भी न आये। इंसान का शरीर आज हमें सच्चा मालूम पड़ता है। कल मर जायेगा। मिटटी में मिल जायेगा। राख बन जायेगा। अब वो इंसान सच्चा था या ये राख सच्ची होगी। अगर राख सच्ची होगी तो राख को भी किसी विशेष परिस्थिति में रख कर इसके अणुओ में विघटित किया जा सकता है। अब अगर अणुओं को सच मान लें तो उन्हें भी इलेक्ट्रान प्रोटान इत्यदि कणों में बांटा जा सकता है। आखिर में पता चलता...
हर वो चीज जो टूट कर, बिखर कर किसी और चीज में रूपांतरित हो जाती है, झूठी है; अगर वो सच होती तो हर परिस्थिति में एक सी रहती। ये पत्थर, ये चट्टानें, ये नदी, ये पौधे इन सबको आज जिस रूप में हम देखते हैं, कल उस रूप में नहीं देख पाएंगे । और हो सकता बहुत सालों बाद इनका रूप इतना परिवर्तित हो जाये की ये पहचान में भी न आये। इंसान का शरीर आज हमें सच्चा मालूम पड़ता है। कल मर जायेगा। मिटटी में मिल जायेगा। राख बन जायेगा। अब वो इंसान सच्चा था या ये राख सच्ची होगी। अगर राख सच्ची होगी तो राख को भी किसी विशेष परिस्थिति में रख कर इसके अणुओ में विघटित किया जा सकता है। अब अगर अणुओं को सच मान लें तो उन्हें भी इलेक्ट्रान प्रोटान इत्यदि कणों में बांटा जा सकता है। आखिर में पता चलता...