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एक कहानी ऐसी भी - भाग तीन
नमस्कार दोस्तों
आज है रविवार का दिन और आज हम अपनी इस कहानी का तीसरा अध्याय प्रस्तुत करने वाले हैं आप सब के समक्ष। आशा करती हूं आप सभी को पसंद आए।
दूसरे अध्याय में हमने देखा कि कैसे मिताली को मयंक की ज़िंदगी से जुड़े कुछ बातों पर संदेह उत्पन्न होता है और वो इन सभी रहस्यों से पर्दा उठाने का प्रण करती है। तो चलिए बढ़ते हैं आगे और देखते हैं कि आज की कड़ी कौन सा नया मोड़ लेने वाली है।
मिताली मयंक का पीछा करते हुए वृन्दावन कालोनी पहुंच तो जाती है पर उसमें इतनी हिम्मत नहीं कि वो आगे बढ़ कर देखे। उसके मन में भय था कि कहीं मयंक उसे देख न ले। वो सहमी हुई सी वापस अपने घर को लौट आती है। पूरी रात वो बेचैन, बेसहारा सी सवेरा होने का इंतज़ार करती रही और सवेरा होते ही उसने अपनी घनिष्ठ मित्र सुनंदा को फोन मिलाया। सुनंदा के फोन उठाने की देरी थी कि मिताली फूट फूटकर रोने लगी। सुनंदा को बुरा लगा...