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प्रभु श्री राम
राम केवल एक ईश्वरीय नाम ही नहीं,हमारी अंतरात्मा की अनुभूति है । शायद ही ऐसा कोई सनातनी पारिवारिक परिवेश रहा हो जहां, हमने राम नाम की महिमा न सुनी- समझी हो। जैसे -जैसे मानसिक परिपक्वता आती है हमारे विचार और गूढ़ होते चले जाते हैं, उन सभी संदर्भों में जो हमारे जीवन से कहीं न कहीं सारोकार रखते हैं।
बचपन में दादोसा को राम-राम की माला जपते देखा, तो दादीसा का आज भी नित्यक्रम यही है। ननिहाल में भी रिश्ते में एक बूढ़ी नानीसा (जिन्हें सभी माताजी से संबोधित करते रहें है) ...