...

7 views

पगड़ी के दो पंख
सुबह का वक्त था सुरज बस उगने ही वाला था ठंडी ठंडी बसंत ऋतु की हवाएं चल रही थी आकाश इतना खुला हुआ था की मानो कह रहा था कि आ मुझमें अपने सारे गम भर दे तभी श्याम को अंदर से एक आवाज़ आयी शायद वह उसकी मां सुमित्रा की थी और वह कह रही देख श्याम तेरी इस मनहूस पत्नी ने फिर से एक बेटी को जन्म दिया है। मां की आवाज सुनकर जब वह अंदर गया तो उसके चेहरे पर भी कुछ निराशा थी क्योंकि यह उसकी पांचवीं बेटी थी। उसने अपनी पत्नी राधिका को निहारते हुए कुछ सांत्वना के भाव से देखा मानो वह कह रहा हो कि हम कर भी क्या सकते हैं ये तो सब हमारे कर्मों का फल है शायद भगवान को भी यही मंज़ूर है। तभी उसकी मां कड़वाहट भरे स्वर में कहने लगी, देख लिया मैने तो पहले ही तुमसे कहा था कि इस मनहूस को कभी लड़का नहीं होगा अरे! जिसने इस घर में आते ही पहले अपने ससुर को निगल लिया फिर इस घर की संपत्ति को भला वह भी कभी कुछ खुशहाली ला सकती है अरे! जब तक यह मर नहीं जाती इस घर में कभी कोई सुख का मुंह नहीं देखेगा। उसकी मां के यह शब्द तीर की...